मणिपुर वीडियो मामला: सीबीआई जांच नहीं चाहती महिलाएं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक सिस्टम बनाने की जरूरत
सरकर का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा जबकि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल दोनों पीड़ित महिलाओं की तरफ से कोर्ट में उपस्थित हुए. उन्होंने कोर्ट में कहा कि दोनों पीड़ित महिलाएं केस की सीबीआई जांच और केस को असम ट्रांसफर करने के खिलाफ हैं.
मणिपुर वीडियो मामले पर टिप्पणी करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सच है कि मणिपुर में हुई हिंसा का वीडियो सामने आया है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ हिंसा हुई और उनका उत्पीड़न हुआ है. महिला उत्पीड़न की कई एेसी घटनाएं भी हमारे समाज में होती हैं जो सामने नहीं आ पाती हैं. इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दे को व्यापकता में देखें और एक एेसा तंत्र विकसित करें जो इस तरह के मामलों पर नजर रखे.
सीबीआई जांच नहीं चाहती महिलाएं
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आज यह टिप्पणी मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए की. ज्ञात हो कि आज मणिपुर वीडियो मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस सुनवाई के दौरान सरकर का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा जबकि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल दोनों पीड़ित महिलाओं की तरफ से कोर्ट में उपस्थित हुए. उन्होंने कोर्ट में कहा कि दोनों पीड़ित महिलाएं केस की सीबीआई जांच और केस को असम ट्रांसफर करने के खिलाफ हैं. इसपर केंद्र सरकार का पक्ष रखने वाले साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने कभी भी केस को असम स्थानांतरित करने का जिक्र नहीं किया, सिर्फ यह कहा गया है कि इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर हो.
Manipur viral video case | Senior advocate Kapil Sibal appearing for the two victim women from Manipur, says the women are against the CBI probe into the case and transfer of case to Assam.
Solicitor General Tushar Mehta, appearing for government, says we have never requested… pic.twitter.com/mOdLgd0Crc
— ANI (@ANI) July 31, 2023
महिलाओं का भरोसा टूटा
कोर्ट में दोनों पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही थी जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा की और पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ के पास ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वही किया जो सबको पता है. कपिल सिब्बल ने कहा कि पीड़िताओं में से एक के भाई और की पिता मारे जा चुके हैं. लेकिन उनका शव अबतक नहीं मिला है. कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज हुआ. एेसे में कैसे भरोसा किया जाये? इसलिए हमारी यह मांग है कि एेसे तंत्र की व्यवस्था कि जाये, जो निष्पक्ष होकर मामले की जांच करे.
सुप्रीम कोर्ट कर सकता है निगरानी
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह दोनों पक्षों को संक्षेप में सुनेगा और फिर कार्रवाई के सही तरीके पर फैसला करेगा. सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की निगरानी करेगा तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है. वहीं मणिपुर वायरल वीडियो मामले पर बयान देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जहां तक कानून का सवाल है, बलात्कार पीड़िताएं इस बारे में बात नहीं करतीं. वे सामने आकर अपने दर्द को साझा नहीं करना चाहती हैं. ऐसे में सबसे जरूरी है कि उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा करना. सीबीआई अगर मामले की जांच करती है, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि महिलाएं सामने आयेंगी और सबकुछ बतायेंगी. अगर जांच में महिलाएं शामिल हों तो पीड़िताओं को बात करने में आसानी होगी और वे अपनी बात कह पायेगी. इसलिए मेरी राय है कि मणिपुर वीडियो मामले की जांच एक ऐसी समिति को सौंपी जाये, जिसके पास हाई पावर हो और पीड़ितों से बात करने का अनुभव भी हो.
सुप्रीम कोर्ट ने की थी घटना पर सख्त टिप्पणी
ज्ञात हो कि 19 जुलाई को मणिपुर में हुई हैवानियत का वीडियो सामने आया था जिसके बाद 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी वह इस घटना से बहुत दुखी है और इसे पूरी तरह अस्वीकार्य घटना करार दिया था. कोर्ट ने अपनी सख्त टिप्पणी में यह कहा था कि अगर इस मामले पर केंद्र और राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है तो कोर्ट करेगा. कोर्ट ने यह कहा था कि हिंसा के लिए महिलाओं का इस्तेमाल सभ्य समाज में कतई स्वीकार्य नहीं है. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो पर संज्ञान लेने के बाद केंद्र और मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि वे इस मामले पर कार्रवाई करें और रिपोर्ट कोर्ट को सौंपें. जिसके बाद 27 जुलाई को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी गयी कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी है. साथ ही कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि वह महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध के खिलाफ जीरी टालरेंस की नीति रखती है.
क्या है मामला
गौरतलब है कि मणिपुर में तीन मई को मैतेई समुदाय के अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के खिलाफ ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा में अबतक 160 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. इसी हिंसा के बाद कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया गया और उनके साथ छेड़खानी की गयी. इस घटना का वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल है और संसद का मानसून सत्र बाधित है. मणिपुर मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ 7-8 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा भी होने वाली है.