मणिपुर वायरल वीडियो मामले को लेकर संसद में होगा और हंगामा ? विपक्ष ने कहा- पीएम मोदी संसद में दें बयान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि नरेंद्र मोदी जी, आपने संसद के भीतर बयान नहीं दिया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर मामले पर अपनी बात रखी है लेकिन उन्हें संसद में बयान देना चाहिए.
मणिपुर मामले को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है. इस बीच ताजा बयान नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का सामने आया है. उन्होंने कहा है कि मणिपुर हम सभी के लिए एक त्रासदी के समान है. कुर्सी (सत्ता) के लिए नफरत बढ़ाने का काम किया जा रहा है. पूरी दुनिया में मणिपुर की चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर मामले पर अपनी बात रखी है लेकिन उन्हें संसद में बयान देना चाहिए. आपको बता दें कि संसद का मानसूत्र सत्र चल रहा है और विपक्ष लगातार मणिपुर मामले पर संसद में चर्चा की मांग कर रहा है.
कांग्रेस ने मणिपुर के विषय पर संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि अगर केंद्र सरकार गंभीर है और सिर्फ चर्चा के नाम पर औपचारिकता नहीं निभाना चाहती तो सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के भीतर वक्तव्य दें तथा दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा कराई जाए. मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है तथा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है.
जिस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस घटना पर सारे देश को दुख है, दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और किसी को बख्शा नहीं जाएगा। उसके बाद कुछ कहने का औचित्य नहीं है: मणिपुर वायरल वीडियो मामले पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, जम्मू pic.twitter.com/toqEmOsIVs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 23, 2023
मणिपुर वायरल वीडियो मामले पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस घटना पर सारे देश को दुख है, दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और किसी को बख्शा नहीं जाएगा. उसके बाद कुछ कहने का औचित्य नहीं है.
80 दिनों की हिंसा पर संसद में बयान दें पीएम मोदी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि नरेंद्र मोदी जी, आपने संसद के भीतर बयान नहीं दिया. यदि आप उस घटना से आक्रोशित होते तो कांग्रेस शासित राज्यों के साथ झूठी तुलना करने की बजाय सबसे पहले अपने मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने का काम करते. उन्होंने कहा कि भारत आपसे अपेक्षा करता है कि आप संसद में न केवल एक घटना पर, बल्कि 80 दिनों की हिंसा पर बयान दें. मणिपुर को लेकर राज्य और केंद्र में आपकी सरकार बिल्कुल असहाय और संवेदनहीन दिख रही है.
#WATCH | Srinagar: Manipur is a tragedy for all of us. Hatred is being increased for the chair (power)…The whole world is talking about it. He (PM) has also replied on this (on the Manipur incident), but he should have said it in Parliament: National Conference President Farooq… pic.twitter.com/ez9cFfLPkW
— ANI (@ANI) July 23, 2023
मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं
वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि एक भयावह वीडियो ने प्रधानमंत्री को मणिपुर पर चुप्पी तोड़ने पर मजबूर कर दिया, हालांकि उन्होंने जो कहा वह पूरी तरह से ध्यान भटकाने वाला था और 3 मई के बाद राज्य में सामने आई त्रासदी को संबोधित नहीं किया. उन्होंने कहा कि अब पता चला है कि इस भयावह अत्याचार की शिकायत 12 जून को राष्ट्रीय महिला आयोग को की गयी थी. कोई कार्रवाई नहीं की गयी. मणिपुर के मुख्यमंत्री ने एक टेलीविजन चैनल पर स्वीकार किया कि यह घटना सिर्फ एक उदाहरण है और ऐसी और भी बर्बर घटनाएं हुई हैं. मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए. रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को संसद में वक्तव्य देना चाहिए और फिर चर्चा होनी चाहिए.
मामले में किशोर समेत दो और लोगों को पकड़ा गया
मामले में मणिपुर पुलिस ने चार मई को राज्य के कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में शनिवार को एक किशोर समेत दो लोगों को पकड़ा है. इस मामले में अब तक छह लोगों को पकड़ा गया है. इनमें वह व्यक्ति भी शामिल है जिसे सार्वजनिक हुए वीडियो में बी. फाइनोम गांव में एक महिला को घसीटते हुए नजर आया था. पुलिस ने कहा कि कई संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी करके बाकी अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं. राज्य के सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं.
दो महिलाओं के साथ शर्मनाक घटना हुई
उल्लेखनीय है कि पिछले बुधवार को इस घटना का 26 सेकेंड का वीडियो सामने आया था, जिसके एक दिन बाद गुरुवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि भीड़ ने महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया. इससे पहले गिरफ्तार किये गये चार आरोपियों को शुक्रवार को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. जिन दो महिलाओं के साथ यह शर्मनाक घटना हुई, उनमें से एक भारतीय सेना के पूर्व जवान की पत्नी है, जिसने असम रेजिमेंट में सूबेदार के रूप में सेवाएं दी थीं और कारगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था. घटना से जुड़े वीडियो को लेकर कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस थाने में 21 जून को शिकायत दर्ज कराई गई थी.
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मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, भीड़ ने चार मई को एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी, जिसने कुछ लोगों को अपनी बहन से दुष्कर्म करने से रोकने की कोशिश की थी. प्राथमिकी के मुताबिक, दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और दूसरे लोगों के सामने ही उनका यौन उत्पीड़न किया गया. एक अन्य घटना में, एक आदिवासी महिला ने सैकुल थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने कहा था कि चार मई को कोनुंग ममांग के निकट किराये के घर में उसकी 21 वर्षीय बेटी और बेटी की 24 वर्षीय दोस्त से बलात्कार किया गया और फिर दोनों की बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गयी. महिला ने कहा कि वे दोनों एक कार वॉशिंग स्टेशन पर केयरटेकर के रूप में काम करती थीं.