मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरा देश आक्रोशित है और घटना के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इस मामले को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और मणिपुर की एन बीरेन सिंह सरकार पर भी लगातार हमला किया जा रहा है. बीरेन सिंह पर लगातार इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है. देशभर में बवाल के बीच एक पीड़ित महिला के फौजी पति का बयान सामने आया है. जिसे सुनकर आप अंदर तक हिल जाएंगे.
‘करगिल में देश को बचाया पर बीवी की इज्जत नहीं बचा पाया’
मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दरिंदगी का वीडियो सामने आया, उसमें एक पीड़िता के पति ने करगिल युद्ध में देश की रक्षा की थी. अब इस मामले में उनका बयान सामने आया है. करगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैन्यकर्मी ने अफसोस जताते हुए कहा कि उन्होंने देश की रक्षा की, लेकिन वह अपनी पत्नी को अपमानित होने से नहीं बचा सके. बताया जा रहा है कि पीड़िता के पति भारतीय सेना की असम रेजिमेंट में सूबेदार के तौर पर सेवा प्रदान कर चुके हैं.
पीड़िता के पति ने सुनायी 4 मई की दर्दनाक कहानी
पीड़िता के पति ने एक हिंदी समाचार चैनल से कहा, मैंने करगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में भी तैनात रहा था. मैंने देश की रक्षा की, लेकिन मैं निराश हूं कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, मैं अपने घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका… मैं दुखी और उदास हूं. उन्होंने कहा कि चार मई की सुबह एक भीड़ ने इलाके के कई घरों को जला दिया, दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया और उन्हें लोगों के सामने गांव की पगडंडियों पर चलने के लिए मजबूर किया. पूर्व सैन्यकर्मी ने कहा, पुलिस मौजूद थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की. मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया.
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पीड़ित महिला का भी सामने आया दर्द भरा बयान
इस बीच, वीडियो में नजर आयी पीड़ित महिलाओं में से एक ने एक न्यूज पोर्टल से कहा कि उसे कुछ लोगों ने एक खेत में ‘लेट जाने’ को कहा. उसने कहा, तीन व्यक्तियों ने मुझे घेर लिया…. उनमें से एक ने कहा कि इसके साथ बलात्कार करें, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. महिला ने कहा कि वह भाग्यशाली है कि उन लोगों ने उसके साथ बलात्कार नहीं किया. महिला ने कहा, उन्होंने मेरी छाती पर हाथ फेरे.
मामले में चार लोगों को किया गया गिरफ्तार
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस ने बताया कि थोउबल जिले की एक अदालत ने चारों आरोपियों को 31 जुलाई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
सड़क से संसद तक विरोध प्रदर्शन
मणिपुर वीडियो मामले को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन जारी है. संसद के मानसून सत्र में लगातार दूसरे दिन भी मणिपुर हिंसा की प्रतिध्वनि सुनाई दी और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान और चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा में कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका. विपक्षी दलों ने मणिपुर मुद्दे पर केंद्र पर अपना हमला तेज कर दिया है. कांग्रेस ने मांग की कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राज्य सरकार को बर्खास्त करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करें.
क्या है मामला
दरअसल मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और छेड़छाड़ का वीडियो बुधवार यानी 18 जुलाई को सामने आया था. जांच के बाद पता चला की घटना 4 मई को ही घटी थी. लगभग एक हजार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया और मकानों में लूटपाट की, उनमें आग लगायी, हत्या की तथा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया. 3 मई से मणिपुर हिंसा की आग में चल रहा है. अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.