नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायर संक्रमण के साथ-साथ ब्लैक फंगल इंफेक्शन (Black Fungal Infection) ने भी तबाही मचा रही है. देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. खासकर कोरोना से ठीक हुए मरीजों में मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं. राज्य सरकरों ने इसे अधिसूचित बीमारी की श्रेणी में रहा है. इस बीच मैनकाइंड फार्मा (Mankind Pharma) ने भारत में म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis), जिसे ब्लैक फंगस डिजीज भी कहा जाता है के इलाज के लिए पॉसकोनाजोल गैस्ट्रो प्रतिरोधी टैबलेट (Posaconazole Gastro resistant tablets) लॉन्च करने की घोषणा की है.
मैनकाइंड फार्मा ने गुरुवार को दिये एक बयान में कहा कि चूंकि ब्लैक फंगस के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए इस संक्रमण से लड़ने के लिए उत्पाद लॉन्च किया गया है. दवा फर्म हमेशा दवा उद्योग में सर्वोत्तम गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करने के प्रयास के साथ सस्ती दवाएं लॉन्च करने का प्रयास करती है.
भारत में, टैबलेट को “Posaforce 100” नाम से लॉन्च किया गया है. दवा निर्माता ने अपने बयान में यह भी कहा कि दवा को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मिल गई है क्योंकि विभिन्न अध्ययनों ने इसे म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी दवा के रूप में पाया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) दोनों ने भी काले कवक के इलाज के लिए एक प्रभावी विकल्प के रूप में पॉसकोनाजोल की सिफारिश की है.
इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ-साथ खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा एंटी-फंगल दवा को उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गयी है. भारत में, काले कवक के मामले, जो आमतौर पर मिट्टी में पाए जाते हैं, उन रोगियों में पाए गए हैं जो कोरोनावायरस संक्रमण (कोविड-19) से उबर चुके हैं.
10 जून तक, देश में म्यूकोर्मिकोसिस के 12,000 से अधिक मामलों का पता चला है, जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में ऐसे रोगियों की संख्या सबसे अधिक है. इसके अतिरिक्त, लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना, प्रतिरक्षा कम करने वाले स्टेरॉयड का प्रयोग, अनियंत्रित मधुमेह, खुले घाव आदि जैसी स्थितियां भी काले कवक का कारण बन सकती हैं.
Posted By: Amlesh Nandan.