Manmohan Singh Last speech: डॉ मनमोहन सिंह 2014 में जब प्रधानमंत्री पद से हट रहे थे, तो उससे पहले उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका नेतृत्व कमजोर नहीं है और इतिहास उनके प्रति दयालु होगा. उन्होंने कहा था, ‘‘मैं यह नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं. मैं ईमानदारी से यह मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में अधिक दयालु होगा. राजनीतिक मजबूरियों के बीच मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है. परिस्थितियों के अनुसार मैं जितना कर सकता था, उतना किया है. यह इतिहास को तय करना है कि मैंने क्या किया है या क्या नहीं किया है.’’
जब मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी’
डॉ मनमोहन सिंह पर जब बीजेपी ने भ्रष्टाचार से घिरी हुई सरकार चलाने का आरोप लगाया था, और उनको ‘मनमोहन सिंह’ की संज्ञा दी थी, तब मनमोहन सिंह ने कहा था, “हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी.” कोयला घोटाले पर अपनी चुप्पी को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा था, “मेरा सामान्य अभ्यास है कि मैं अपने खिलाफ की गई आलोचना का जवाब नहीं देता. मेरा दर्शन रहा है कि हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी.”
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