Mann Ki Baat Updates : ‘मन की बात’ में बोले पीएम मोदी- त्योहार के दौरान कोरोना को लेकर रहें सतर्क

Mann ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिये देश को संबोधित कर रहे हैं. आज दशहरा और विजया दशमी की बधाई दी. उन्होंने कहा कि कोरोना से बचकर रहे हैं. त्योहारों में बाजार से सामान खरीदते समय वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा दे और स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2020 12:04 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिये देश को संबोधित कर रहे हैं. आज दशहरा और विजया दशमी की बधाई दी. उन्होंने कहा कि कोरोना से बचकर रहे हैं. त्योहारों में बाजार से सामान खरीदते समय वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा दे और स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करें.

हमें उन साथियों के पास जाना है जिनके बिना हमारा जीवन मुश्किल हो जाता है. घर में काम करनेवाले , सफाई कर्मचारी , दूधवाला , सब्जीवाला सभी का हमारे जीवन में अहम रोल है. हमें अपने उन जाबाज़ सैनिकों को भी याद रखना है,जो, इन त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं. भारत-माता की सेवा और सुरक्षा कर रहें है. हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने हैं. हमें घर में एक दीया, भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है.

पीएम ने कहा कि खादी की popularity तो बढ़ ही रही है, साथ ही, दुनिया में कई जगह, खादी बनाई भी जा रही है. मेक्सिको में एक जगह है ओहाका. इस इलाके में कई गाँव ऐसे है, जहाँ स्थानीय ग्रामीण, खादी बुनने का काम करते है. आज, यहाँ की खादी ‘ओहाका खादी’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है.

साथियो, दिल्ली के Connaught Place के खादी स्टोर में इस बार गाँधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई. इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत popular हो रहे हैं. मेरे प्यारे देशवासियो, जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढती है. जैसे हमारे आध्यात्म ने, योग ने, आयुर्वेद ने, पूरी दुनिया को आकर्षित किया है.

मेरे प्यारे देशवासियो, कहा जाता है ‘Learning is Growing’. आज, ‘मन की बात’ में, मैं आपका परिचय एक ऐसे व्यक्ति से कराऊँगा जिसमें एक अनोखा जुनून है. ये जुनून है दूसरों के साथ reading और learning की खुशियों को बाँटने का. उन्होंने तमिलनाडु के पोन मरियप्पन से बात की. उन्होंने कहा कि मैनें अभी पोन मरियप्पन जी से बात की. थिरुकुरल की लोकप्रियता के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगा. आज हिन्दुस्तान की सभी भाषाओं में थिरुकुरल उपलब्ध है. अगर मौक़ा मिले तो ज़रूर पढ़ना चाहिए

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा साथियों लेकिन आपको ये जानकार खुशी होगी कि पूरे भारत में अनेक लोग हैं जिन्हें ज्ञान के प्रसार से अपार खुशी मिलती है. ये वो लोग हैं जो हमेशा इस बात के लिए तत्पर रहते हैं कि हर कोई पढ़ने के लिए प्रेरित हो. फिर उन्कुहोंने कहा कि कुछ ही दिनों बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को हम सब, ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाएंगे. क्या आप सरदार पटेल के बारे में एक बात जानते हैं जो उनके sense of humour को दर्शाती है.

आज हमें अपनी वाणी,अपने व्यवहार,अपने कर्म से हर पल उन सब चीजों को आगे बढ़ाना है जो हमें ‘एक’ करे,जो देश के एक भाग में रहने वाले नागरिक के मन में,दूसरे कोने में रहने वाले नागरिक के लिए सहजता और अपनत्व का भाव पैदा कर सके हमारे पूर्वजों ने सदियों से ये प्रयास निरंतर किए हैं. त्रिपुरा से ले कर गुजरात तक, जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक स्थापित, हमारे, आस्था के केंद्र, हमें ‘एक’ करते हैं. भक्ति आन्दोलन पूरे भारत में एक बड़ा जन-आन्दोलन बन गया, जिसने, हमें, भक्ति के माध्यम से एकजुट किया.

इससे पहले प्रधानमंत्री ने 27 सितंबर को मन की बात कार्यक्रम के जरिये देशवासियों को संबोधित किया था. अपने संबोधन मं प्रधानमंत्री नें कोरोना संकट, किसान, परिवार, कथा-कहानी और कहानीकारों पर प्रमुख रूप से चर्चा की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है , वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है. कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है. कहा कि देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं. ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नीवं मजबूत होगी.

बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि हरियाणा के एक किसान भाई में मुझे बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में दिक्कत आती थी. लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी से बाहर कर दिया गया, इसका उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ.3-4 साल पहले ही महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को एपीएमसी के दायरे से बाहर किया गया था.

इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है. उन्होंने कहा कि वर्षों तक किसानों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली और बिचौलियों को राजनीतिक संरक्षण देने वाली पार्टियों को किसानों को मिली स्वतंत्रता हजम नहीं हो रही है. कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने से देश का किसान खुश है और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

Posted By: Pawan Singh

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