विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुए ये विधेयक, अविश्वास प्रस्ताव पर इस दिन हो सकती है चर्चा

बुधवार को भी लोकसभा की कार्यवाही सुचारु ढंग से नहीं चल पाया है. मणिपुर हिंसा समेत कई मुद्दों पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया जिसके बाद सदन की कार्यवाही को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2023 4:21 PM
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Lok Sabha Monsoon Session : बुधवार को भी लोकसभा की कार्रवाई सुचारु ढंग से नहीं चल पाया है. मणिपुर हिंसा समेत कई मुद्दों पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया जिसके बाद सदन की कार्रवाई को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. हालांकि, इस बीच सदन की कार्रवाई दो बार एक स्थगित किया गया लेकिन उसके बाद भी जब विपक्ष का रुख ज्यादा हमलावर रहा तो सदन की कार्यवाही को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. हांलाकि, इस दौरान कई अहम चीजें हुई. आइए नजर डालते है सदन में आज की कार्यवाही पर.

‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ को मिली मंजूरी

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया और सदन ने उसे चर्चा के लिए मंजूर किया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बात करके और नियमों के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का समय तय करेंगे. हालांकि, सदन में हंगामे के बीच ही ‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. सरकार ने छह विधेयक भी पेश किये. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ‘जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया.

‘जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023’ प्रस्तुत

गृह राज्य मंत्री राय ने ‘जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023’ भी प्रस्तुत किये. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने ‘संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023’ और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने ‘संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023’ सदन में शोर-शराबे के बीच ही पेश किये. कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ‘खान और खनिज (विकास और नियमन) संशोधन विधेयक, 2023’ पेश किया.

मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री के सदन में बयान पर अड़ा विपक्ष

मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में बयान और फिर इस विषय पर चर्चा कराने की मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों ने सदन में बुधवार को जोरदार नारेबाजी जारी रखी. सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करगिल विजय दिवस और भारतीय जवानों के शौर्य एवं पराक्रम का उल्लेख किया. पूरे सदन ने कुछ पल मौन रखकर करगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, उसी समय कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर का मुद्दे उठाने लगे और नारेबाजी करने लगे.

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए स्वीकृति

विपक्षी सदस्यों ने सदन में ‘जवाब दो-जवाब दो’, ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’ और ‘वी वान्ट जस्टिस’ के नारे लगाए. हंगामा नहीं थमने पर बिरला ने पूर्वाह्न करीब 11 बजकर 15 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. सदन में शून्यकाल के दौरान लोकसभा ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए स्वीकृति प्रदान की. सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. बिरला ने कहा, ‘‘मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है…कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें.’’

इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि की अभी घोषणा नहीं

इसके बाद गोगोई ने कहा, ‘‘मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं- यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है.’’ लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा. इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए. इसके बाद बिरला ने कहा, ‘‘ इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है. मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके और नियम देखकर उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा.’’

सदस्यों ने ‘चक दे इंडिया’ का नारा लगाया

अविश्वास प्रस्ताव के चर्चा के लिए स्वीकार होने के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों ने ‘चक दे इंडिया’ का नारा लगाया. अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकृत किए जाने के बाद विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही. कांग्रेस के कुछ सदस्यों की नारेबाजी पर नाराजगी जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘सदन की गरिमा रखें. यह भारत की संसद है. आप उसकी गरिमा गिराना चाहते हैं. आप सबसे पुराने दल हो. क्या इस तरह का व्यवहार ठीक लगता है? इतने साल शासन में रहने के बाद आपको यह व्यवहार सिखाया गया है.’’

कार्यवाही आरंभ होने पर भी गतिरोध बना रहा

हंगामा जारी रहने पर उन्होंने दोपहर 12 बजकर करीब 17 मिनट पर सदन की बैठक दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. अपराह्न दो बजे कार्यवाही फिर से आरंभ होने पर गतिरोध बना रहा. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही ‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ ध्वनिमत से पारित हो गया. पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने विपक्षी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील करते हुए कहा, ‘‘आपने अविश्वास प्रस्ताव दिया, वो स्वीकृत हो गया है. जब चर्चा होगी तो आप प्रत्येक विषय उठा सकते हैं.’’

गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित

नारेबाजी बंद नहीं होने पर उन्होंने अपराह्न दो बजकर करीब 40 मिनट पर सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई.

प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए 20 जुलाई को संसद भवन परिसर में कहा था कि यह घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है और इससे पूरे देश की बेइज्जती हुई है. संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले, मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को विश्वास दिलाया था कि इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि विपक्षी दलों को जनता से डरना चाहिए और मणिपुर जैसे संवेदनशील विषय पर चर्चा के लिए सदन में उचित माहौल बनाना चाहिए तथा सरकार को चर्चा से कोई डर नहीं है.

मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए. अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

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