चंद्रयान-3 की सफलता से खुलेंगे ये राज, चंद्रमा पर मानव जीवन के लिए होगा अहम

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव सूर्य की रोशनी के प्रभाव में नहीं आता है. इसलिए दक्षिणी ध्रुव को लगातार छाया में रहने वाला क्षेत्र माना जाता है. वैज्ञानिक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लगातार बड़ी छाया होने की वजह से ठंडी जलवायु का दावा करते हैं.

By KumarVishwat Sen | August 23, 2023 5:17 PM

नई दिल्ली : भारत का चंद्रमा पर खोज अभियान मिशन के तहत चंद्रयान-3 का लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने को तैयार है. इसके सफल लैंडिंग के बाद लैंडर के पास करीब एक चंद्र दिन तक यानी पृथ्वी के करीब 14 दिनों तक खोज करने का वक्त रहेगा. भारत के इस रणनीतिक अभियान चंद्रयान-3 की सफलता के बाद चंद्रमा के कई राज खुलने शुरू हो जाएंगे, जो न केवल चांद पर मानव जीवन के विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि पूरी मानव सभ्यता के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. आइए, जानते हैं कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद किन-किन राज से पर्दा उठेगा.

चांद पर पानी और बर्फ के भंडार का चलेगा पता

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव सूर्य की रोशनी के प्रभाव में नहीं आता है. इसलिए दक्षिणी ध्रुव को लगातार छाया में रहने वाला क्षेत्र माना जाता है. वैज्ञानिक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लगातार बड़ी छाया होने की वजह से ठंडी जलवायु का दावा करते हैं, जो पानी और बर्फ की उच्च सांद्रता को बरकरार रखने में मदद करता है. अत्यधिक ठंड और सीमित सूर्य के प्रकाश के कारण अरबों वर्षों में जमा हुए ये बर्फ के भंडार भविष्य के मानव मिशनों के लिए मूल्यवान संसाधन हैं. जलीय बर्फ पीने के पानी, ईंधन उत्पादन और जीवन जीने के लिए आवश्यक पांच तत्वों को प्रदान करता है, जो इस क्षेत्र को संभावित चंद्रमा पर मानव सभ्यता के विकास के लिए महत्वपूर्ण बनाता है.

चंद्रमा के इतिहास की खोज

दक्षिणी ध्रुव में सीमित सूर्य की रोशनी चंद्रमा के ऐतिहासिक रिकॉर्ड को संरक्षित करते हुए सतह की पुरानी स्थिति को बनाए रखती है. यहां की भूवैज्ञानिक विशेषताएं, चट्टानों की बनावट और ध्रुवीय क्रेटर चंद्रमा की उत्पत्ति, विकास और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं. चंद्रयान-3 के जरिए वैज्ञानिक चंद्रमा के अरबों वर्षों के विकास के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

सौर मंडल के विकास की मिलेगी जानकारी

ध्रुवीय क्रेटरों ने धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों सहित सौर मंडल के प्रारंभिक चरणों के पदार्थों को अपने कब्जे में ले लिया है. चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव इन ब्रह्मांडीय संस्थाओं का अध्ययन करने, उनकी उत्पत्ति और संरचना की समझ बढ़ाने के लिए एक खजाना बन सकता है. सौर मंडल के निर्माण और विकास को प्रभावित करने वाले व्यापक तंत्रों की अंतर्दृष्टि प्राप्त की जा सकती है.

भविष्य में आकर्षक गंतव्य साबित होगा चंद्रमा

दक्षिणी ध्रुव के पास पानी की बर्फ की निकटता इसे चंद्र आधार स्थापित करने के लिए एक आकर्षक स्थल बनाती है. जल उपस्थिति और शोधन विस्तारित मिशनों और मानव उपस्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण आपूर्ति प्रदान करते हैं. स्थायी छाया क्षेत्र तापमान में उतार-चढ़ाव को कम करते हैं, जिससे वे आवास निर्माण के लिए संभावित स्थल बन जाते हैं.

खगोलीय ऑब्जर्वेशन

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अबाधित खगोलीय प्रेक्षणों के लिए एक प्राचीन और अत्याधु निक उन्नत स्थिति प्रदान करता है. पृथ्वी के वायुमंडलीय हस्तक्षेप और प्रकाश प्रदूषण को कम किया जाता है, जिससे गहन अंतरिक्ष अन्वेषण संभव हो पाता है. खगोलविद दूरस्थ आकाशगंगाओं, ब्रह्मांडीय पृष्ठभूमि विकिरण और क्षणिक खगोलीय घटनाओं का प्रभावी ढंग से अध्ययन कर सकते हैं.

Also Read: चंद्रयान-3 की लैंडिंग के दौरान दक्षिण अफ्रीका से वर्चुअली जुड़ेंगे पीएम मोदी, ISRO का बढ़ाएंगे हौसला

बुधवार की शाम 5.44 बजे निर्धारित बिंदु पर पहुंचेगा लैंडर

इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस (एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार. लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के लगभग 17.44 बजे (भारतीय समयानुसार 5.44 बजे) निर्धारित बिंदु पर पहुंचने का इंतजार है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एएलएस कमांड प्राप्त होने के बाद एलएम तीव्र गति से उतरने के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करता है. मिशन संचालन टीम आदेशों के क्रमिक निष्पादन की पुष्टि करती रहेगी.

Next Article

Exit mobile version