नामीबिया से भारत में चीतों के कदम रखते ही चर्चा शुरू हो गई है. सात दशक बाद भारत की धरती पर चीतें दौड़ लगाते देखें जाएगे. केंद्र सरकार ने इन चीतों के लिए खासा इंतजाम भी किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देशभर में चीतें कितने प्राकर के पाए जाते हैं? तो चलिए इस खबर में हम चीतों की प्रजातियां और उनकी खासियत पर एक नजर डालते हैं.
चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है. यह 100 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. लेकिन हम सामान्य चीतें की बात करें तो चीता तेज दौड़ने के साथ साथ 7 मीटर तक यानी करीब 23 फुट लंबी छलांग लगा सकता है. बताते चले कि दुनियाभर से सामान्य चीतों की संख्या में कमी देखी गई है. इसका मुख्य कारण वन विशेषज्ञ बताते है कि चीते के बच्चे बड़ी मुश्किल से बचते हैं. मीडिया रिपोर्ट बताते है कि 95 फीसदी बच्चे वयस्क होने से पहले ही दम तोड़ देते हैं.
दक्षिण अफ़्रीकी चीता या नामीबियाई चीता, चीता की सबसे अधिक उप-प्रजातियां हैं. चीता ओकावांगो डेल्टा के सवाना, ट्रांसवाल के घास के मैदान, नामीबिया के खेत और कालाहारी के हिस्सों में पाया जा सकता है. बताते चले कि इसकी उप- प्रजातियां अब भारत में भी देखने को मिलेंगी.
एशियाई चीता या ईरानी चीता सभी चीता उप-प्रजातियों में सबसे दुर्लभ और केवल ईरान में पाया जाता है. एशियाई चीतें अरब प्रायद्वीप के साथ साथ भारत तक फैली हुई थी. हालांकि यह विलुप्त हो चुकी है.
किंग प्रजाति के चीतों के शरीर पर आंख से लेकर मुंह तक विशिष्ट काली धारियां होती हैं और ये धारियां उन्हें सूर्य की चकाचौंध से बचाती है. किंग चीतें ज्यादातर जिम्मबाब्बे के मैनिकलैंड में देखने को मिलते हैं.
ऊली चीते (Woolly Cheetah) की खोज 19वीं सदी के अंत में अंग्रेजी विज्ञानी फिलिप स्क्लेटर ने की थी. इसे चीते की एक अलग प्रजाति के रूप में माना जाता था जिसका शरीर मोटा और लंबा और सघन फर होता था. अबतक इसके कई नमूने मिल चुके हैं.