Maoist Link Case : बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मंगलवार को कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है. यह फैसला न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एसए मेनेजेस की पीठ ने सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट के पहले के बरी करने के आदेश को रद्द करने के बाद साईबाबा की अपील पर दोबारा सुनवाई हुई.
इनलोगों को किया गया बरी
मंगलवार को जीएन साईबाबा, हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, प्रशांत राही और पांडु नरोटे (मृतक) को माओवादी लिंक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने बरी करने का काम किया गया. आपको बता दें कि गढ़चिरौली कोर्ट ने 2017 में साईबाबा और अन्य को दोषी ठहराया था. इसके बाद से ये सभी जेल में बंद हैं. इन छह लोगों में से एक की मौत हो चुकी है जिसका नाम पांडु नरोटे है.
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राम लाल आनंद कॉलेज में छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते थे साई बाबा
साई बाबा की बात करें तो उन्हें मई 2014 में नक्सलियों के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी से पहले प्रोफेसर साई बाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते थे. व्हीलचेयर से वक चलते थे.
कौन हैं साईबाबा जानें
जीएन साईबाबा के बारे में जो जानकारी है उसके अनुसार, वे आंध्र प्रदेश के एक गरीब परिवार में पैदा हुए और 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं. 2003 में वे दिल्ली पहुंचे तो उनके पास वीलचेयर खरीदने के भी पैसे नहीं थे. हालांकि पढ़ाई में वे हमेशा अव्वल रहे.
अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टंस फोरम (एआईपीआरएफ) के एक कार्यकर्ता के रूप में जीएन साईबाबा काम करते रहे. उन्होंने कश्मीर और उत्तर पूर्व में मुक्ति आंदोलनों के के समर्थन में दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए प्रचार किया. इस दौरान वे 2 लाख किमी से अधिक की यात्रा करते नजर आए.