मुंबई : महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने मराठा समुदायों के लिए सोमवार को बड़ा तोहफा दिया है. उद्धव सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के छात्रों और अभ्यर्थियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया. इस संबंध में राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिया है. अब मराठा अभ्यर्थी सीधी सेवा में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी माह प्रमुख सामूहिक समूह के लिए नौकरियों और शिक्षा में मराठा आरक्षण को रद्द करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार का मानना था कि महाराष्ट्र में जब मराठा आरक्षण लागू था, तो मराठा समुदाय ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता था. मराठा आरक्षण रद्द किये जाने के बाद सरकार ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ देने का फैसला किया है.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी माह पांच मई को महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण के फैसले को खारिज कर दिया था. साथ ही कहा था कि मराठा आरक्षण देने से आरक्षण की 50 फीसदी की तय सीमा का उल्लंघन होगा. मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की पीठ ने कहा था कि मराठा समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जा सकता है.
गौरतलब हो कि आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का कोटा लागू है. सामान्य वर्ग के नौकरियों और शिक्षा में गरीबों के लिए आरक्षण की अनुमति देने के लिए ईडब्ल्यूएस कोटा को केंद्र सरकार ने दो वर्ष पूर्व लागू किया था. ईडब्ल्यूएस कोटा उन सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) उम्मीदवारों पर लागू होगी, जिनकी नियुक्ति अंतरिम प्रवास से पहले लंबित थी. उन अभ्यर्थियों पर लागू नहीं होगी, जिन्हें नियुक्तियों और प्रवेश में एसईबीसी कोटा से लाभ मिला हो.
इधर, महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने सोमवार को पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा कि मराठा आरक्षण की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जायेगी. साथ ही कहा है कि इस मुद्दे पर टकराव की संभावना है. इससे राज्य में अस्थिरता पैदा हो सकती है, क्योंकि सूबे की विपक्षी पार्टी इस मुद्दे का इस्तेमाल कर सकती है. इसलिए विपक्ष को समय पर रोकना भी महत्वपूर्ण होगा.