-
भारत में वैवाहिक बलात्कार दंडनीय नहीं
-
12 साल से तलाक के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रही है महिला
-
कोर्ट ने माना मैरिटल रेप तलाक का वैध आधार
केरल हाईकोर्ट ने आज कहा कि वैवाहिक बलात्कार हमारे देश में दंडनीय नहीं, लेकिन यह तलाक का आधार बन सकता है. लाइव लॉ में छपी खबर के अनुसार जस्टिस ए मोहम्मद मुस्तक और जस्टिस कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने मैरिटल रेप के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि यह पत्नी की स्वायत्तता पर हमला है. हालांकि मैरिटल रेप अपराध नहीं माना जाता है, लेकिन यह एक पति के शारीरिक और मानसिक क्रूरता का परिचायक है.
केरल हाईकोर्ट में पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी. फैमिली कोर्ट ने पति के वैवाहिक अधिकारों को बहाल करने की अपील खारिज कर दी थी और उसकी क्रूरता के आधार पर पत्नी को तलाक मांगने की अनुमति दी थी.
पति की क्रूरता से तंग आकर एक महिला पिछले 12 साल से तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी लगा रही है, लेकिन अबतक उसे तलाक नहीं मिल पाया है. फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में के दौरान यह पाया था कि पति ने अपनी पत्नी के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया है और पत्नी को पैसा बनाने की मशीन के रूप में इस्तेमाल किया है.
कोर्ट ने माना कि पति ने अपनी पत्नी के साथ बहुत ही क्रूर व्यवहार किया है. पत्नी का कहना है कि जब वह बीमार रहती थी और उसकी बेटी के सामने भी उसका पति उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था, यहां तक कि जिस दिन महिला की मां का निधन हुआ था उस दिन भी पति ने उसे शारीरिक संबंध के लिए मजबूर किया था.
कोर्ट ने माना कि इस तरह के संबंध जिसके लिए पत्नी तैयार ना हो और वह पीड़ा में हो, वैवाहिक बलात्कार की श्रेणी में ही आयेगा. हालांकि अपने देश में मैरिटल रेप दंडनीय नहीं है, लेकिन यह तलाक का पुख्ता आधार है. कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया और फैमिली कोर्ट के आदेश को बहाल रखा.
भारत में वैवाहिक बलात्कार को यह कहते हुए दंडनीय नहीं बनाया गया है कि अगर ऐसा किया गया तो देश में विवाह नामक संस्था ध्वस्त हो जायेगी और ऐसा भी संभव है कि इसका दुरुपयोग हो. हालांकि विदेशों में कई जगह पर मैरिटल रेप दंडनीय है.
Also Read: महेंद्र सिंह धौनी के ट्विटर एकाउंट से ब्लू टिक हटा, सोशल मीडिया पर काफी कम रहते हैं एक्टिव
Posted By : Rajneesh Anand