वैवाहिक बलात्कार मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के खंडित आदेश के खिलाफ आज याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की. खुशबू सैफी ने अपने वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह दिल्ली हाईकोर्ट की दो सदस्यीय टीम ने खंडित आदेश दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजीव शकधर ने अपने फैसले में कहा था कि रेप के कानूनों में अपवाद की वजह से वैवाहिक बलात्कार अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, जो सही नहीं है और यह एक महिला के आत्मसम्मान को चोटिल करता है. जबकि जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा था कि अपवाद कानून किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं है.
चूंकि न्यायालय की दो सदस्यीय टीम में मतभेद था और एक सदस्य वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक घोषित करने के पक्ष में थे और दूसरे इसके खिलाफ थे इसलिए अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचार के लिए लाया गया है.
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आईपीसी के सेक्शन 375 के अपवाद 2 में यह व्यवस्था है कि अगर एक व्यक्ति अपनी 15 साल से अधिक की पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ भी शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है.
ज्ञात हो कि 2015 में आरआईटी फाउंडेशन ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के लिए याचिका दाखिल की थी. वहीं 2017 में आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की, 2017 में एक वैवाहिक बलात्कार सरवाइवर खुशबू ने भी याचिका दाखिल की और एक अन्य पीड़ित महिला ने भी वैवाहिक बलात्कार मामले में केस दाखिल किया था. गौरतलब है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किये जाने के विरोध में भी कई पुरुष संगठनों ने कोर्ट के समक्ष याचिका दर्ज की और यह मांग की है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित ना किया जाये, क्योंकि इसके दुरुपयोग की काफी संभावना है.