Marital Rape: वैवाहिक बलात्कार पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि पति अपनी पत्नी के तन-मन का शासक नहीं है. विवाह किसी भी व्यक्ति को अपनी पत्नी से क्रूर जानवर की तरह पेश आने का लाइसेंस नहीं देता. जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि अगर कोई पति अपनी पत्नी के साथ क्रूर व्यवहार करता है, तो उसे वही सजा मिलनी चाहिए, जो क्रूरता करने वाले शख्स को दी जाती है.
जबरन संबंध बनाने से महिला पर पड़ता है बुरा असर
जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि यह दलील देना कि पति अपने किसी भी कार्य के लिए विवाह जैसी संस्था द्वारा पूरी तरह से संरक्षित है, सही नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अगर एक पुरुष किसी भी महिला से उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है, तो वह दंडनीय है. जब कोई पति अपनी पत्नी से उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है, तो महिला पर उसका बुरा असर पड़ता है. महिला के अंदर भय पैदा करते हैं.
केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में रखा था ये पक्ष
ऐसे ही एक मामले में पिछले दिनों केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा था. इसमें कहा गया था कि अन्य बातों के अलावा दहेज उत्पीड़न से संबंधित आईपीसी की धारा 498 के दुरुपयोग और पत्नी द्वारा सहमति वापस लेने पर सत्यापित करने के लिए तंत्र का अभाव है. इसलिए भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए. इस मुद्दे पर अन्य देशों का आंख बंद करके अनुसरण नहीं करना चाहिए.
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कई देशों, जिनमें ज्यादातर पश्चिमी देश शामिल हैं, ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि भारत को भी आंख बंद करके उनका अनुसरण करना चाहिए. भारत में साक्षरता के अभाव के साथ-साथ बहुसंख्यक महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण की कमी, समाज की मानसिकता, विशाल भारत की विविधता, गरीबी और ऐसे कई अलग-अलग कारणों की वजह से हमारी अपनी अनूठी समस्याएं हैं.
दूसरी ओर, याचिका दाखिल करने वाले गैरसरकारी संस्था (एनजीओ) ने आईपीसी की धारा 375 के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद मानने को इस आधार पर चुनौदी दी है कि ये उन विवाहित महिलाओं से भेदभाव करती है, जिनका यौन उत्पीड़न खुद उनका पति करता है. इंडियन पीनल कोड की धारा 375 (बलात्कार) में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे बलात्कार नहीं माना जायेगा. शर्त यह है कि पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं होनी चाहिए.
Posted By: Mithilesh Jha