13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शादी के बाद पत्नी मांग सकती ‘आधार’ की जानकारी? जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा

महिला अलग हो चुके पति का आधार नंबर, एनरोलमेंट की जानकारी और फोन नंबर के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहती थी. इसके लिए उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जानें क्या है पूरा मामला

कर्नाटक से आधार कार्ड को लेकर ऐसी खबर आ रही है जो चर्चा का विषय बन गई है. दरअसल, हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि शादी निजता के अधिकार पर असर नहीं डाल सकती है. कई दिनों से इस बात पर बहस हो रही थी कि क्या पति या पत्नी को अपने साथी के आधार कार्ड की जानकारी रखने का अधिकार है? इस सवाल का जवाब हाईकोर्ट में एक याचिका पर हुई सुनवाई के बाद सामने आया. अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया ने जो खबर दी है उसके अनुसार, कोर्ट की ओर से कहा गया कि पत्नी केवल शादी का हवाला देकर अपने जीवनसाथी यानी अपने पति के आधार कार्ड की जानकारी एकतरफा हासिल नहीं कर सकती हैं.

जानें आखिर क्या था मामला जिसपर कोर्ट ने की सुनवाई

खबर की मानें तो हुबली की एक महिला ने एक पारिवारिक कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पति से गुजारा भत्ता की डिमांड की. दोनों की शादी नवंबर 2005 में हुई थी और इस कपल की एक बच्ची है. रिश्ते में परेशानियां आने लगी जिसके बाद पत्नी ने कानूनी कार्रवाई करने का विचार किया और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने 10 हजार रुपये का गुजारा भत्ता और बेटी के लिए 5 हजार रुपये अलग से दिए जाने का आदेश दिया था.

आदेश लागू करवाने के लिए महिला पहुंची थी हाईकोर्ट

महिला अलग हो चुके पति का आधार नंबर, एनरोलमेंट की जानकारी और फोन नंबर के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहती थी. महिला का कहना था कि उन्हें नहीं पता फिलहाल उनका पति कहां रह रहा है, इसलिए वह कोर्ट के आदेश की कॉपी उनतक नहीं पहुंचा पा रही हैं. आदेश को लागू कराने के लिए परेशान होकर महिला यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पास भी पहुंचीं थी. 25 फरवरी 2021 को यूआईडीएआई ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था. बताया जा रहा है कि महिला के आवेदन को खारिज करते हुए कहा गया कि इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश की आवश्यकता होगी. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था.

Also Read: जेडीएस का भाजपा में हो जाएगा विलय? कर्नाटक सीएम सिद्धरमैया ने कही ये बात

क्या कहा कोर्ट ने

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति एस. सुनील दत्त यादव और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए. पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि शादी जो होता है वो दो लोगों का रिश्ता है, जो निजता के अधिकार पर असर नहीं डालता है. यह व्यक्ति का निजी अधिकार होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें