Tablighi Jamaat Maulana Saad : तबलीगी मरकज (Nizamuddin Markaz) के मुखिया मौलाना मोहम्मद साद (Tablighi Jamaat Maulana Saad) के लोकेशन की जानकारी पुलिस के हाथ लगी है. जानकारी के अनुसार वह ओखला इलाके के जाकिर नगर में ठिकाना बनाये हुए है. मामले को लेकर क्राइम ब्रांच का कहना है कि उसके पास भी यह सूचना पहुंची है और वह इसकी तस्दीक में लगी हुई है. यदि मौलाना (maulana saad) वहां मिल गये तो उन पर निगरानी रखने का काम किया जाएगा. क्वारंटीन पीरियड पूरा होने के बाद उनसे पूछताछ की जाएगी.
आपको बता दें कि निजामुद्दीन इलाके में पिछले महीने एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करने को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से वह फरार थे. पुलिस सूत्रों ने बताया कि दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जाकिर नगर में मौलाना के मौजूद होने का पता चला. हालांकि, इससे पहले मौलाना के वकील तौसीफ खान ने कहा था कि साद क्वारंटीन में हैं और 14 दिनों की अवधि खत्म होने के बाद वह जांच में शामिल होंगे.
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साद के क्वारंटीन की अवधि अगले हफ्ते खत्म होने की उम्मीद है. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने निजामुद्दीन के थाना प्रभारी द्वारा दी गयी एक शिकायत पर 31 मार्च को मौलवी सहित सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. थाना प्रभारी ने लॉकडाउन के आदेशों का कथित उल्लंघन करने और कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिये सामाजिक मेलजोल से दूरी नहीं रखते हुए यहां एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किये जाने के सिलसिले में यह शिकायत की थी. इसके एक दिन बाद अपराध शाखा ने मौलाना साद और अन्य को नोटिस देकर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत ब्यौरा मांगा था. इस हफ्ते उन्हें दूसरी नोटिस भी भेजी गयी.
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इधर, कथित तौर पर साद का एक ऑडियो संदेश 21 मार्च को व्हाट्सऐप पर पाया गया, जिसमें वह अपने समर्थकों से लॉकडाउन और सामाजिक मेलजोल से दूरी की अवज्ञा करने तथा निजामुद्दीन के धार्मिक कार्यक्रम में शरीक होने को कहते सुने गये थे.
गौरतलब है कि सरकार ने कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए 24 मार्च को 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. उसी दिन हजरत निजामुद्दीन पुलिस थाने के प्रभारी और मरकज पदाधिकारियों के बीच एक बैठक हुई. इसमें साद, मोहम्मद अशरफ, मोहम्मद सलमान, युनूस, मुरसालीन सैफी, जिशान और मुफ्ती शहजाद शामिल हुए थे तथा उन्हें लॉकडाउन के आदेशों के बारे में सूचना दी गयी थी. हालांकि, यह पाया गया कि बार-बार की कोशिशों के बावजूद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग या अन्य सरकारी एजेंसी को मरकज के अंदर भारी जमावड़े के बारे में नहीं बताया और जानबूझकर सरकारी आदेश की अवहेलना की.