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MCD: स्थायी समिति के एक रिक्त पद पर भाजपा की हुई जीत

दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं और शुक्रवार को आए नतीजे के बाद स्थायी समिति में भाजपा के 10 और आप के 8 सदस्य हो गए हैं. नगर निगम के फंड से जुड़े अहम फैसले स्थायी समिति ही करती है.

MCD: दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति के खाली एक रिक्त पद के लिए हुए चुनाव काफी हंगामेदार रहा है. वैसे तो चुनाव गुरुवार को होना था, लेकिन मोबाइल फोन नहीं ले जाने को लेकर हुए विवाद के कारण चुनाव को स्थगित कर दिया गया था. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने गुरुवार रात 10 बजे तक स्थायी समिति की खाली सीट पर चुनाव कराने का आदेश दिया था. इसके बाद नगर निगम की बैठक हुई और फैसला लिया गया कि आप और कांग्रेस पार्षदों की गैरमौजूदगी में चुनाव संभव नहीं है फिर शुक्रवार को चुनाव कराने का निर्णय लिया गया.

शुक्रवार को हुए चुनाव में आप और कांग्रेस के पार्षदों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया और भाजपा उम्मीदवार सुंदर सिंह तंवर चुनाव जीत गए. दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं और शुक्रवार को आए नतीजे के बाद स्थायी समिति में भाजपा के 10 और आप के 8 सदस्य हो गए हैं. नगर निगम के फंड से जुड़े अहम फैसले स्थायी समिति ही करती है. ऐसे में स्थायी समिति में भाजपा का बहुमत होने से नगर निगम के संचालन में आप को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 

आप और उपराज्यपाल के बीच फिर बढ़ सकता है तनाव


स्थायी समिति के एक रिक्त पद के लिए दिल्ली नगर निगम की मेयर शैली ओबेरॉय ने 5 अक्टूबर को चुनाव कराने की बात कही थी. लेकिन उपराज्यपाल ने मेयर के फैसले को पलटते हुए गुरुवार को चुनाव कराने का आदेश दिया. पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति और अन्य मामलों को लेकर विवाद के कारण गुरुवार को चुनाव नहीं हो पाया और फिर शुक्रवार को चुनाव कराने की घोषणा की गयी. शुक्रवार को अतिरिक्त कमिश्नर जितेंद्र यादव की मौजूदगी में चुनाव कराए गए क्योंकि मेयर और डिप्टी मेयर ने पीठासीन अधिकारी बनने से इंकार कर दिया था. इस फैसले के बाद आप ने चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर दी.

कांग्रेस ने पहले ही इस चुनाव में भाग नहीं लेने का ऐलान कर दिया था. ऐसे में स्थायी समिति के लिए रिक्त पद पर भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित हो गयी. उपराज्यपाल के फैसले पर आम आदमी पार्टी की ओर से कड़ी आपत्ति जाहिर की गयी है. पार्टी का कहना है कि संविधान की अनदेखी कर चुनाव कराया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि आप इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. उपराज्यपाल के फैसले के बाद एक बार फिर आप और उपराज्यपाल के बीच विवाद बढ़ने की संभावना है. वैसे दो आप पार्षदों के भाजपा में शामिल होने के बाद आप के लिए चुनाव जीतना काफी मुश्किल हो गया था. पार्टी को डर था कि कई पार्षद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. 

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