ukraine russia war : यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग का आज 26वां दिन है. इस बीच युद्धग्रस्त यूक्रेन में रूस की गोलाबारी में मारे गए कर्नाटक के एक मेडिकल छात्र का पार्थिव शरीर सोमवार को भारत पहुंचा. शव बेंगलुरु हवाई अड्डे पर आज सुबह लाया गया. आपको बता दें कि ‘खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी’ में मेडिकल के अंतिम वर्ष के छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की एक मार्च को संघर्ष क्षेत्र में मौत हो गई थी.
यूक्रेन में गोलाबारी में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा के पिता ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि पहले पूजा होगी, उसके बाद बॉडी को दर्शन के लिए रखा जाएगा. सोमवार शाम को उसकी बॉडी को एस.एस.अस्पताल दावणगेरे को डोनेट करेंगे. उन्होंने कहा कि उसका बचपन से डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का इरादा था लेकिन उसे यहां मेडिकल सीट नहीं मिल पाई थी. उसके मन में था कि मुझे जहां भी मेडिकल सीट मिलेगी मैं जाऊंगा फिर उसे यूक्रेन भेजना पड़ा वो डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पाया लेकिन कम से कम आगे आने वाले बच्चों को सीखने में उसकी बॉडी से कुछ फायदा होगा इसलिए हमने उसकी बॉडी डोनेट करने का फैसला किया.
Karnataka | We will perform the rituals as per our tradition and then we will donate his body to Davangere's SS Hospital, says Shankarappa, father of Naveen Shekharappa, an Indian student who died in shelling in Ukraine pic.twitter.com/GMClyA6L1v
— ANI (@ANI) March 21, 2022
छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के परिवार के सदस्य, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित कुछ अन्य लोग पार्थिव शरीर लेने के लिए हवाई अड्डे पहुंचे थे. इसके बाद शव को ज्ञानगौदर के पैतृक स्थान हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक के चालगेरी गांव ले जाया गया. बोम्मई ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्ञानगौदर ने संघर्ष क्षेत्र में अपनी जान गंवा दी.
Also Read: Russia Ukraine War: होकर रहेगा तीसरा विश्व युद्ध ? रूस के सामने यूक्रेन नहीं डालेगा हथियारमुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ज्ञानगौदर की मां पार्थिव शरीर को देश लाने के लिए लगातार गुहार लगा रही थीं. शुरू में, हम युद्ध क्षेत्र से शव लाने की संभावना को लेकर भी संशय में थे. यह एक कठिन कार्य था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विशाल कूटनीतिक क्षमता से पूर्ण किया. यूक्रेन से हजारों छात्रों को घर वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि यह (पार्थिव शरीर लाना) असंभव था क्योंकि ज्यादातर समय हम युद्ध क्षेत्रों से अपने सैनिकों के पार्थिव शरीर नहीं ला पाते हैं. एक आम नागरिक का पार्थिव शरीर लाना, किसी चमत्कार से कम नहीं है.
भाषा इनपुट के साथ