भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक इस समय दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं. अपने दौरे के पहले दिन उन्होंने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. भूटान नरेश का यह दौरा बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद जारी है.
डोकलाम विवाद के बीच भूटान और भारत में कई मुद्दों पर चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के साथ दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों पर विस्तृत चर्चा की. डोकलाम विवाद पर भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग की हाल की कुछ टिप्पणियों को लोगों ने पड़ोसी देश के चीन के करीब जाने के रूप में देखा, हालांकि भूटान ने कहा कि सीमा विवाद पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, भारत भूटान का विश्वसनीय सहयोगी बना रहेगा
भूटान नरेश अपने भारत दौरे के पहले दिन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी मुलाकात की. इस दौरान दोनों राष्ट्र प्रमुख के बीच कई मुद्दों पर बात हुई. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भूटान उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की राह पर बढ़ रहा है और इस यात्रा में भारत उसका विश्वसनीय सहयोगी बना रहेगा.
जानें भूटान नरेश को
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जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक – 21 फरवरी, 1980 को काठमांडू में भूटान के ‘ड्रुक ग्यालपो’ (ड्रैगन किंग) के घर जन्में.
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जिग्मे खेसर भूटान के चौथे ड्रैगन राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक और उनकी तीसरी पत्नी रानी आशी त्शेरिंग यांगडन के सबसे बड़े बेटे हैं.
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राजा जिग्मे खेसर ने यांगचेनफग हाई स्कूल से अपनी उच्च माध्यमिक पढ़ाई पूरी की. फिर एंडोवर में फिलिप्स अकादमी गए और संयुक्त राज्य अमेरिका में एशबर्नहैम में कुशिंग अकादमी गये. उन्होंने मैसाचुसेट्स के व्हीटन कॉलेज में भी अध्ययन किया और ऑक्सफोर्ड के मैग्डलेन कॉलेज में अपना डिप्लोमैटिक स्टडीज प्रोग्राम पूरा किया.
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अपने पिता के गद्दी से हटने के बाद 9 दिसंबर, 2006 को वह सम्राट बने. हालांकि, दो साल बाद 6 नवंबर, 2008 को एक सार्वजनिक राज्याभिषेक समारोह का आयोजन किया गया. जो कि भूटान में राजशाही के 100 साल पूरे होने का वर्ष था.
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जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भी भूटान के सबसे कम उम्र के राजाओं में से एक हैं.