किसान संगठनों और सरकार के साथ बैठक आज, कृषि कानूनों को रद्द करने और MSP को कानूनी अमलीजामा पहनाने को लेकर होगी बात
Meeting, farmer organizations, government, today, talk about, repealing agricultural laws, legalizing the MSP : नयी दिल्ली : नये कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर जारी सरकार के साथ गतिरोध के बीच किसानों के साथ आज आठवें दौर की वार्ता राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे होगी. मालूम हो कि छह हफ्तों से किसानों का दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन जारी है.
नयी दिल्ली : नये कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर जारी सरकार के साथ गतिरोध के बीच किसानों के साथ आज आठवें दौर की वार्ता राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे होगी. मालूम हो कि छह हफ्तों से किसानों का दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन जारी है. सरकार के साथ बातचीत को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि कई मुद्दों पर चर्चा होनी है. सरकार को समझना चाहिए. किसान इस आंदोलन को अपने दिल में ले गया है और कानूनों को निरस्त करने से कम नहीं समझेगा. स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए और MSP पर कानून बनाना चाहिए.
Many issues are to be discussed. Govt must understand, the farmer has taken this movement to his heart & won't consider less than the laws' repeal. Govt should implement Swaminathan's report & make law on MSP: Rakesh Tikait, Spokesperson, BKU, on today's meeting with Central govt pic.twitter.com/wrd0Eitk1R
— ANI (@ANI) January 4, 2021
सरकार के साथ 30 दिसंबर को हुई सातवें दौर की बैठक में किसानों के चार में से दो प्रस्तावों पर सहमति बन गयी है. सातवें दौर की बातचीत में ही पर्यावरण अध्यादेश पर रजामंदी हो गयी है. अब पराली जलाना जुर्म नहीं है. साथ ही बिजली का मामला भी सुलझ गया है.
शेष बचे अब दो मुद्दों पर आज केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की किसान संगठनों के साथ बातचीत होने की संभावना है. गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी एक किसान ने बैठक को लेकर कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार हमारी मांगों को स्वीकार करेगी.
गौरतलब हो कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम जारी करते हुए कहा था कि यदि अगले दौर की वार्ता में उनकी मांगें नहीं मानी गयी, तो वे गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के साथ प्रवेश करेंगे.
किसानों के साथ होनेवाली बैठक के एक दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक कर सरकार की रणनीति पर चर्चा की. बताया जाता है कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने संकट के समाधान के लिए ‘बीच का रास्ता’ ढूंढ़ने के सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा की.
मालूम हो कि बीजेपी की पिछली अटल बिहारी सरकार में कृषि मंत्री रहे राजनाथ सिंह संकटमोचक के रूप में उभरे हैं. साथ ही मुद्दे को लेकर अधिकतर पर्दे के पीछे से वह काम कर रहे हैं. गौरतलब हो कि किसानों ने नये कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप देने की मांग को लेकर अड़े हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन की तुलना अंग्रेजों के शासन में हुए चंपारण आंदोलन से की है. उन्होंने कहा है कि प्रदर्शन कर रहे किसान और श्रमिक सत्याग्रही हैं, जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.
उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया कि ”देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है. तब अंग्रेज कंपनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कंपनी बहादुर हैं. लेकिन, आंदोलन का हर एक किसान-मजदूर सत्याग्रही है, जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.”
देश एक बार फिर चंपारन जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है।
तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं।
लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मज़दूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 3, 2021