Meghalaya Nagaland Election 2023: मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव के लिए चल रहे चुनाव का शोर आज यानि 25 फरवरी की शाम को थम गया. दोनों ही रियासतों में 27 फरवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच वोट डाले जाएंगे. मतदान के लिए तमाम तैयारियां अंतिम चरण में हैं. मेघालय और नागालैंड में अभी बीजेपी सत्ता पर काबिज है. इस बार मेघालय में बीजेपी और एनपीपी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि नागालैंड में बीजेपी अपनी पुरानी साथी एनडीपीपी के साथ मैदान में उतरी है.
नागालैंड में 13 लाख से अधिक मतदाता हैं तथा 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए चार महिलाओं एवं 19 निर्दलीय समेत 183 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. राज्य में 27 फरवरी को सुबह 7 बजे से अपराह्न 4 बजे तक मतदान होगा. मतों की गिनती 2 मार्च को होगी. सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी (NDPP) और बीजेपी सीटों की साझेदारी के तहत क्रमश: 40 और 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. एनडीपीपी ने 2018 में इस पूर्वोत्तर राज्य में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनायी थी. उसे जनता दल यूनाईटेड और एक निर्दलीय प्रत्याशी का भी समर्थन मिला था. वर्ष 2021 में नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) भी एनडीपीपी नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुआ था और उसे यूनाईटेड डेमोक्रेटिक एलायंस नाम दिया गया था. एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन इस चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए जद्दोजेहद कर रहा है. एनडीपीपी के नीफीयू रियो इस गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं.
वहीं, मेघालय विधानसभा की 59 सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा और परिणाम दो मार्च को आएंगे. निर्वाचन आयोग ने 27 फरवरी को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने की तैयारी कर ली है. कुल 369 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत दांव पर है. आयोग ने बताया कि कुल 3,419 मतदान केंद्रों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे जिनमें से 640 को संवेदनशील, 323 मतदान केंद्रों को अति संवेदनशील और 84 मतदान केंद्रों को अति जोखिम वाले केंद्र के तौर पर चिह्नित किया गया है. बताया गया कि सीएपीएफ की 119 कंपनियों को पूरे राज्य में चुनाव के लिए तैनात किया गया है.
मेघालय में मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) दोबारा कार्यकाल हासिल करने की कोशिश कर रही है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का बल लगा दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने राज्य में चुनाव प्रचार किया है और पार्टी को उम्मीद है कि वह सत्ता पर काबिज होगी. तृणमूल कांग्रेस संगमा सहित कांग्रेस के अधिकतर विधायकों को पार्टी में शामिल कर रातों-रात मेघालय विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. वहीं, एनपीपी नीत मेघालय लोकतांत्रिक गठबंधन (MDA) के तहत पांच साल सरकार चलाने वाली बीजेपी अकेले मैदान में है और इस बार विधानसभा में संख्या बल बढ़ने की उम्मीद कर रही है.
मेघालय विधानसभा में 60 सीटें हैं, लेकिन ईस्ट खासी हिल्स जिले की सोहियोंग सीट पर चुनाव यूडीपी के उम्मीदवार एचडीआर लिंगदोह की मौत की वजह से स्थगित कर दिया गया है. सत्तारूढ़ एनपीपी ने 57 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. कांग्रेस और बीजेपी सभी सीटों पर लड़ रही है जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 58 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDF) के 46 उम्मीदवार मैदान में हैं. वीपीपी 18 और एचएसडीनी 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं.
मतदान के दिन सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को होती है जो वोट तो डालना चाहते हैं, लेकिन मतदाता सूची में उनका नाम नहीं होता. कई बार जब मतदाता के वोट डालने से पहले ही उसके नाम से कोई और मतदान करके चला जाता है. अब अगर आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो आप किसी भी दशा में वोट नहीं डाल सकते हैं. चुनाव आयोग के नियम के अनुसार, किसी भी ऐसे शख्स को वोट डालने की अनुमति नहीं है, जिसका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है. अगर ऐसे लोग जबरदस्ती वोट डालने की कोशिश करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी.
निर्वाचन आयोग के नियम में टेंडर वोट का प्रावधान है. इस नियम के तहत मतदान केंद्र पर पहुंचने पर अगर आपको ये पता चलता है कि आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है तो आप टेंडर वोट के जरिए उसे चुनौती दे सकते हैं. ऐसे परिस्थिति में आपको मतदान केंद्र पर मौजूद पीठासीन अधिकारी से शिकायत करनी होगी. इसके बाद अधिकारी आपसे जुड़े दस्तावेजों की पूरी जांच करेगा.जांच के दौरान अगर आपका दावा सही निकलता है तो बैलेट पेपर के जरिए पीठासीन अधिकारी आपका टेंडर वोट डलवा सकता है. अगर आपका दावा गलत निकलता है तो फर्जीवाड़े के आरोप में आपको पुलिस के हवाले किया जा सकता है.