जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से आज मिलेंगे परिसीमन आयोग के सदस्य, सूबे में गरमाया सियासी माहौल

जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से मिलने के लिए परिसीमन आयोग के सदस्य श्रीनगर पहुंच गए हैं. हालांकि, आयोग के सदस्यों का दौरा तय होने के साथ ही सूबे में सियासी माहौल गरमा गया है. इसमें पीडीपी ने परिसीमन को लेकर आयोजित होने वाली किसी भी बैठक में शिरकत करने से इनकार कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2021 3:50 PM

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद अब उसके परिसीमन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. इसी सिलसिले में परिसीमन आयोग के सदस्य मंगलवार को वहां की राजनीतिक पार्टियों से मिलने के लिए श्रीनगर पहुंच गए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से मिलने के लिए परिसीमन आयोग के सदस्य श्रीनगर पहुंच गए हैं. हालांकि, आयोग के सदस्यों का दौरा तय होने के साथ ही सूबे में सियासी माहौल गरमा गया है. इसमें पीडीपी ने परिसीमन को लेकर आयोजित होने वाली किसी भी बैठक में शिरकत करने से इनकार कर दिया है.

एजेंसी ने ट्वीट किया है कि भाजपा, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एम), बसपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पैंथर्स पार्टी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता आज श्रीनगर में परिसीमन आयोग से मिलेंगे. हालांकि, पीडीपी नेताओं के साथ कोई बैठक निर्धारित नहीं है. खबर है कि सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती नीत पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने मंगलवार को परिसीमन आयोग के सदस्यों से मुलाकात करने से इनकार कर दिया है.

पीडीपी के महासचिव गुलाम नबी लोन हंजूरा ने आयोग को लिखे दो पन्नों के पत्र में आयोग का नेतृत्व कर रहीं न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने कार्यवाही से दूर रहने का फैसला किया है और वह ऐसी किसी कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगी, जिसके परिणाम व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा रहे हैं और जिससे हमारे लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं.

पत्र की शुरुआत पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के पूर्ववर्ती राज्य से विशेष दर्जा वापस लेने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के फैसले को रेखांकित करने के साथ हुई. पीडीपी ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को अवैध एवं असंवैधानिक तरीके से निरस्त कर जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके वैध संवैधानिक तथा लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया गया.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के सदस्यों का श्रीनगर दौरा तय होने के साथ ही सूबे की सियासत तेज हो गई है. सभी राजनीतिक पार्टियां परिसीमन में अपने राजनीतिक आधार और वोट बैंक को बचाए रखने की कवायद में जुट गए हैं, क्योंकि इस प्रक्रिया में सिर्फ विधानसभा सीटों की संख्या ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि जम्मू कश्मीर की सियासी तस्वीर भी बदल जाएगी. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि नए परिसीमन के बाद विधानसभा में जम्मू संभाग का प्रतिनिधित्व भी बढ़ेगा.

Also Read: ‘पाकिस्तान से बात करें भारत’ बोलना महबूबा मुफ्ती को पड़ा भारी? बिहार में देशद्रोह के आरोप में परिवाद दायर

Posted by : Vishwat Sen

Next Article

Exit mobile version