भारत ने इस साल कई आपदाएं देखी हैं. यास, ताउते जैसी चक्रवाती तूफानों की वजह से देश के कई राज्यों में भारी बारिश और तबाही देखने को मिली. वहीं मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो आने वाले समय में देश में इस तरह की घटनाएं बढ़ेंगी, जिससे कुछ राज्यों में बाढ़ तो कुछ राज्यों में सूखा पड़ सकता है. इन घटनाओं के बढ़ने की प्रमुख वजह जलवायु में हो रहा परिवर्तन है. गर्मी के बढ़ने से ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला जारी है जिससे समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है.
भारत मौसम विभाग की मानें तो हिंद महासागर में समुद्र के स्तर पर चरम घटनाएं बढ़ रही हैं. गंभीर चक्रवाती तूफान ताउते की तुलना में बहुत ही गंभीर चक्रवात यास के दौरान उच्च समुद्र स्तर दर्ज किया गया. बता दें कि ताउते तूफान 17 मई को गुजरात तट पार किया था जबकि तूफान यास 26 मई को उत्तरी ओडिशा तट पहुंचा था.
वहीं, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में जलवायु वैज्ञानिक और जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के सह-लेखक स्वप्ना पनिकल ने बताया कि इसके पीछे की वजह कारण ज्वार, स्थलाकृति और औसत समुद्र का स्तर है. जो समुद्र में आने वाले चरम स्तर की घटनाओं की संभावना को निर्धारित करता है. पनिकल ने जलवायु परिवर्तन पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (INTROMET-2021) में जलवायु परिवर्तन पर अपनी प्रस्तुति के दौरान कहा कि 1870 के बाद से समुद्र के स्तर के आंकड़े बताते हैं कि ये घटनाएं मुंबई तट पर भी बढ़ रही है.
भारत के लिए चेतावनी
भारत को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में तटीय क्षेत्रों को समुद्र के स्तर में वृद्धि संबंधी चिंताओं के लिए बेहतर ढंग से तैयार होने की जरूरत है. 1870 और 2000 के बीच, वैश्विक औसत समुद्र स्तर में प्रति साल 1.8 मिमी की बढ़ोतरी हुई जो 1993 से 2017 की बीच के दौरान लगभग दोगुनी होकर 3.3 मिमी प्रति साल बढ़ रही है.