केरल में भाजपा के जीतने पर सीएम पद संभालने को तैयार मेट्रो मैन, राज्यपाल बनने में नहीं है दिलचस्पी

‘मेट्रो मैन' के नाम से मशहूर और आधारभूत ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं के विकास में अपनी कुशलता दिखा चुके श्रीधरन ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि अगर पार्टी चाहेगी, तो वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और पार्टी कहेगी तो मुख्यमंत्री का पद भी संभाल सकते हैं. श्रीधरन (88) ने साफ कर दिया कि राज्यपाल पद संभालने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2021 8:54 PM
  • मेरा मुख्य मकसद भाजपा को केरल में सत्ता में लाना है : श्रीधरन

  • केरल में बड़े स्तर पर आधारभूत संरचना का विकास और राज्य में उद्योगों को लाना प्राथमिकता

  • प्रत्येक मलयाली पर 1.2 लाख रुपये के कर्ज का बोझ

नई दिल्ली : जल्द भाजपा में शामिल होकर राजनीति में कदम रखने जा रहे मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने शुक्रवार को कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य केरल में पार्टी को सत्ता में लाना है और पार्टी के जीतने पर वह मुख्यमंत्री पद संभालने के लिए तैयार रहेंगे. उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को इस साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत मिलती है, तो उनका ध्यान बड़े स्तर पर आधारभूत संरचना का विकास करना और राज्य को कर्ज के जाल से निकालना होगा.

‘मेट्रो मैन’ के नाम से मशहूर और आधारभूत ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं के विकास में अपनी कुशलता दिखा चुके श्रीधरन ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि अगर पार्टी चाहेगी, तो वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और पार्टी कहेगी तो मुख्यमंत्री का पद भी संभाल सकते हैं. श्रीधरन (88) ने साफ कर दिया कि राज्यपाल पद संभालने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.

राज्यपाल का पद संवैधानिक

उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद पूरी तरह संवैधानिक पद है और इसके पास कोई शक्ति नहीं है और वह ऐसे पद पर रहकर राज्य के लिए कोई सकारात्मक योगदान नहीं दे पाएंगे. उन्होंने कहा कि मेरा मुख्य मकसद भाजपा को केरल में सत्ता में लाना है. अगर भाजपा केरल में चुनाव जीतती है, तो तीन-चार ऐसे क्षेत्र होंगे जिस पर हम ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. इसमें बड़े स्तर पर आधारभूत संरचना का विकास और राज्य में उद्योगों को लाना शामिल है.

कर्ज के जाल में फंसा है राज्य

केरल के पोन्नाली में रह रहे श्रीधरन ने कहा कि ‘कर्ज के जाल में फंसे’ राज्य की वित्तीय दशा सुधारने के लिए वित्त आयोग का भी गठन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज राज्य कर्ज के जाल में फंसा है. बहुत सारा उधार है. प्रत्येक मलयाली पर आज 1.2 लाख रुपये का कर्ज है. इसका मतलब है कि हम दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहे हैं और सरकार अब भी उधार ले रही है. राज्य की वित्तीय हालत सुधारने की जरूरत है और हम इसका समाधान निकालेंगे.

पार्टी के चाहने पर लड़ेंगे चुनाव

भाजपा में श्रीधरन के शामिल होने से राज्य में पार्टी को मजबूती मिल सकती है. राज्य में पिछले कई वर्षों से अदल-बदल कर वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का शासन रहा है. श्रीधरन ने कहा कि अगर भाजपा चाहेगी, तो मैं (विधानसभा) चुनाव लड़ूंगा. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर अगर पार्टी चाहेगी तो निश्चित तौर पर वह मुख्यमंत्री पद संभालने के लिए तैयार रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी चाहेगी तो मुख्यमंत्री पद संभाल सकता हूं. आपको मैं साफ-साफ बताना चाहूंगा कि बिना मुख्यमंत्री पद संभाले इन प्राथमिकताओं को हासिल नहीं कर पाऊंगा.

भाजपा में क्यों शामिल हो रहे हैं श्रीधरन?

श्रीधरन के औपचारिक तौर पर 25 फरवरी को भाजपा में शामिल होने की संभावना है. किस वजह से भाजपा से जुड़ने का फैसला किया, यह पूछे जाने पर श्रीधरन ने कहा कि वह चाहते हैं कि केरल के लोगों को फायदा हो, क्योंकि यूडीएफ और एलडीएफ राज्य का वास्तविक विकास करने में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा कि मैंने अलग कारण से भाजपा को चुना है. केरल में दोनों गठबंधन यूडीएफ और एलडीएफ अदल-बदल कर सत्ता में आते रहे हैं. वे राज्य का वास्तविक विकास नहीं कर पाए. पिछले 20 साल में राज्य में एक भी उद्योग नहीं आया है.

सत्ता में आने पर केंद्र के साथ बनेगा तालमेल

श्रीधरन ने कहा कि समय-समय पर उनका (केंद्र) सरकार के साथ टकराव चलता रहता है. दोनों सरकारों का कई मुद्दों पर सामंजस्य नहीं है. राज्य के विकास पर असर पड़ा है. अगर केरल में भाजपा सत्ता में आती है, तो केंद्र सरकार के साथ अच्छा संबंध बनेगा. परोक्ष रूप से वह केंद्र और केरल में एलडीएफ सरकार के बीच मतभेद का हवाला दे रहे थे.

भाजपा की केरल इकाई में गुटबाजी

भाजपा की केरल इकाई में गुटबाजी को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है और उम्मीद है कि चीजें जल्द ही ठीक हो जाएंगी. नए कृषि कानूनों का पुरजोर समर्थन करते हुए श्रीधरन ने कहा कि मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के हरेक कदम का विरोध करना एक चलन बन गया है.

देश में नहीं है असहिष्णुता

साथ ही, उन्होंने कहा कि देश में किसी तरह की ‘असहिष्णुता’ नहीं है. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों में अपनी सरकार को बदनाम करने के प्रयास को ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ युद्ध होगा और अपने देश के खिलाफ इसका दुरुपयोग होने पर इस संवैधानिक अधिकार को नियंत्रित किया जाएगा.

राष्ट्रवाद पर बहस दुर्भाग्यपूर्ण

उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद पर जो बहस हो रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और कई दल हैं जो भाजपा के खिलाफ हैं और बेतुके कारणों से उसे निशाना बनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मैं उन्हें करीब से जानता हूं. वह स्पष्टवादी, प्रतिबद्ध और देश के हितों के प्रति काफी लगाव रखते हैं. वह मेहनती और आशावादी हैं. फिलहाल, श्रीधरन केरल में एक पुल के पुनर्निर्माण से जुड़ी परियोजना पर काम कर रहे हैं और इस महीने के अंत में पेशेवराना दायित्व से मुक्त हो जाएंगे.

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Posted by : Vishwat Sen

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