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Explained: बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में मिग-21 ने पाकिस्तान के छुड़ाए थे छक्के, अब ले रहा पायलटों की जान

मिग सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को सोवियत संघ यानी रूस की मिकोयान-गुरेविच ने किया था. इसीलिए इस सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को मिग कहा जाता है. इसे विमान को 'बलालैका' के नाम से भी पुकारा जाता था. इसका कारण यह है कि यह रूस के संगीत वाद्य यंत्र ऑलोवेक (पेंसिल) की तरह दिखता है.

नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना का मिग-21 का प्रशिक्षु लड़ाकू विमान गुरुवार की देर रात को राजस्थान के बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे वायुसेना के दो पायलट विंग कमांडर एम राणा और फ्लाइट लेफ्टिनेंट अदितिया शहीद हो गए. रूस के मिकोयान-गुरेविच कंपनी द्वारा डिजाइन किया गया मिग-21 वही लड़ाकू विमान है, जिसने वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों की नाक में दम करके छक्के छुड़ा दिए थे. इतना ही नहीं, 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में हवाई हमले किए थे, तो वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग-21 लड़ाकू विमान के जरिए पाकिस्तानी वायुसेना में शामिल अमेरिका के एफ-16 लड़ाकू विमानों के छक्के छुड़ा दिए थे, मगर अपनी विशेष खामियों की वजह से ये लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त होकर भारतीय वायुसेना के पायलटों की जान भी ले रहे हैं. आइए, जानते हैं मिग-21 के बारे में सबकुछ…

क्या है मिग सुपरसोनिक लड़ाकू विमान

मिग सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को सोवियत संघ यानी रूस की मिकोयान-गुरेविच ने किया था. इसीलिए इस सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को मिग कहा जाता है. इसे विमान को ‘बलालैका’ के नाम से भी पुकारा जाता था. इसका कारण यह है कि यह रूस के संगीत वाद्य यंत्र ऑलोवेक (पेंसिल) की तरह दिखता है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की मिकोयान कंपनी द्वारा निर्मित मिग सुपरसोनिक लड़ाकू विमान ने सबसे पहले वर्ष 1955 में पहली उड़ान भरी थी. इसके करीब चार साल बाद वर्ष 1959 में सेना में शामिल किया गया. इस विमान के निर्माण के पीछे मुख्य वजह रूस और पश्चिमी देशों के बीच प्रतिस्पर्धा है. रूस इस सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के जरिए अमेरिका और उसके सहयोगी नाटों देशों को जवाब देना चाहता था.

क्या है मिग-21 विमान की खासियत

मिग-21 विमान को भारतीय वायुसेना के पहले सुपरसोनिक विमान के रूप में जाना जाता है. यह विमान आवाज की गति से भी तेज उड़ने की क्षमता रखता है. इसका इस्तेमाल दुनिया भर के 60 से अधिक देशों में किया जाता है. भारत के लिए भी कई अहम मौकों पर मिग-21 ने दुश्मनों को छक्के छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई है. चाहे वह वर्ष 1965 का भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध या फिर वर्ष 1999 का कारगिल युद्ध हो, हर लड़ाई में मिग-21 ने अहम योगदान दिया.

रूस से रिटायर हो चुका है मिग-21 विमान

मिग-21 विमान अपनी खासियत है, तो इसमें कई खामियां भी है, जिसकी वजह से यह आधुनिकता की दौर में काफी पीछे छूट गया. भारतीय वायु सेना इसके सबसे उन्नत किस्म मिग-21 बाइसन का इस्तेमाल करती है. इसे अत्याधुनिक बीवीआर मिसाइल से लैस किया जा सकता है. हालांकि, सभी खासियतों के बावजूद लड़ाकू विमानों के इंजन की तकनीकी खामी की वजह से ये विमान दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मिग-21 विमानों की इंजन तकनीक काफी पुरानी हो चुकी है. इसके अलावा, विमान का डिजाइन और फ्रेम भी पुराने जमाने का है. इस विमान को रूस ने 1985 में ही रिटायर कर दिया था. इसके अलावा ज्यादातर उपयोगकर्ता देश भी इसे रिटायर कर चुके हैं.

1964 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में हुआ था शामिल

रूस द्वारा निर्मित मिग-21 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान वर्ष 1964 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. शुरुआत में ये विमान रूस में बने थे, लेकिन बाद में भारत ने इस विमान को बनाने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी. इसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने वर्ष 1967 से लाइसेंस हासिल करने के बाद मिग-21 लड़ाकू विमान का निर्माण शुरू कर दिया.

मिग-21 को क्यों कहते हैं उड़ता ताबूत

भारतीय वायुसेना के बेड़े में वर्ष 1964 में शामिल किए गए मिग-21 विमान को दुर्घटनाग्रस्त होने के रिकॉर्ड को देखते हुए इसे उड़ता ताबूत या फ्लाइंग कॉफिन भी कहा जाता है. वर्ष 1959 में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाले पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक था. इसकी गति के कारण ही तत्कालीन रूस के इस लड़ाकू विमान से अमेरिका भी डरता था. यह इकलौता ऐसा विमान है, जिसका प्रयोग दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है. मिग-21 इस समय भी भारत समेत कई देशों की वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहा है.

कभी भारत की शान था मिग-21 लड़ाकू विमान

2021 में सबसे ज्यादा हादसों का शिकार बना मिग-21 विमान कभी भारत की शान भी कहा जाता था. भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 ने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर दुश्मनों से जमकर लोहा लिया था. मिग-21 विमान ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के 13 लड़ाकू विमानों को मार गिराया था. हालांकि, पाकिस्तान के साथ इस युद्ध में भारतीय वायुसेना को अपना एक ही विमान खोना पड़ा था.

कारगिल युद्ध में निभाई अहम भूमिका

भारतीय वायुसेना में वर्ष 1964 में शामिल किए गए मिग-21 विमान ने न केवल वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में ही अहम भूमिका निभाई थी, बल्कि वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में भी इसने पाकिस्तानी सैनिकों की नाक में दम कर दिया था. मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है, जिससे अगले तीन से चार साल तक इसका उपयोग किया जा सकता है. इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है. बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वैरियंट का प्रयोग करते हैं.

अभिनंदन ने मिग-21 से पाकिस्तान के एफ-16 को किया ध्वस्त

इतना ही नहीं, भारतीय वायुसेना का मिग-21 बाइसन से ही विंग कमांडर अभिनंदन ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय पाकिस्तानी वायुसेना एफ-16 को मार गिराया था, जिसे अमेरिका का लड़ाकू विमान कहा जाता है. हालांकि, पाकिस्तान ने कभी खुलकर इस सच्चाई को स्वीकार नहीं किया है. इसका कारण यह है कि अमेरिका अपने उन्नत किस्म के एफ-19 के सामने 60 साल पुराने मिग-21 को निम्नकोटि का समझता है.

2021 में सबसे अधिक हुए मिग-21 विमान हादसे

अब अगर मिग-21 के हादसाग्रस्त होने की बात करें, वर्ष 2021 में सबसे अधिक विमान हादसे हुए. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 25 दिसंबर 2021 को मिग-21 बाइसन राजस्थान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. वायुसेना के अनुसार, इस दुर्घटना में पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की मौत हो गई थी. इससे पहले, 25 अगस्त 2021 को मिग-21 का एक विमान बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हालांकि, इस हादसे में विमान का पायलट खुद को सुरक्षित बचाने में सफल रहे. भारतीय वायुसेना के मुताबिक उनका विमान ट्रेनिंग शॉर्टी पर था. इतना ही नहीं, 20 मई 2021 को पंजाब के मोगा में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में भी पायलट अभिनव चौधरी की मौत हो गई थी. 8 दिसंबर 2021 को हुए एक हेलिकॉप्टर क्रैश में 13 जवान शहीद हो गए थे.

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2025 तक भारतीय वायुसेना से रिटायर हो जाएगा मिग-21 बाइसन

समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि मिग-21 बाइसन को वर्ष 2025 तक भारतीय वायुसेना के बेड़े से रिटायर कर दिया जाएगा. खबर के अनुसार, भारतीय वायुसेना 30 सितंबर तक मिग -21 बाइसन विमान के एक और स्क्वाड्रन को रिटायर कर देगी. कहा जा रहा है कि श्रीनगर हवाई अड्डे से बाहर स्थित 51 स्क्वाड्रन को 30 सितंबर को बेड़े से बाहर कर दिया जाएगा. इसके बाद, विमानों के केवल तीन स्क्वाड्रन सेवा में रह जाएंगे और वर्ष 2025 तक चरणबद्ध तरीके से इन्हें भी बाहर कर दिया जाएगा.

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