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संघर्ष विराम समझौते से दोनों देश के नागरिकों को मिलेगी राहत
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आतंकवाद के खिलाफ नहीं थमेगा सेना का अभियान
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भारतीय सेना आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध
नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच संघर्ष विराम समझौते की घोषणा के बाद सैन्य अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि आतंकवाद और घुसपैठ से लड़ने के लिए पाकिस्तान सीमा पर सैनिकों की तैनाती या सैन्य अभियानों में कमी नहीं की जाएगी. अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष विराम का यह मतलब नहीं कि आतंकवाद के खिलाफ सेना का अभियान थम जाएगा. सतर्कता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी.
उन्होंने कहा कि वे संघर्ष विराम समझौते को लेकर आशावादी हैं, लेकिन पूरी तरह सावधानी बरतेंगे. इस समझौते से दोनों तरफ के नागरिकों को राहत मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की घटनाओं में 2018-2020 के दौरान 70 नागरिकों की मौत हो गई और 341 लोग जख्मी हो गए.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सैनिकों की तैनाती जारी रहने के बीच सूत्रों ने कहा कि एलओसी और पश्चिमी मोर्चे को लेकर हुए फैसले का असर उत्तरी सीमा की स्थिति पर नहीं पड़ेगा. एक अधिकारी ने कहा कि हमारा घुसपैठ रोधी ग्रिड मजबूत बना रहेगा. हम घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी अभियान जारी रखेंगे. खतरे को कम करने के लिए सभी विकल्प खुले रहेंगे.
अधिकारियों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में एलओसी पर सेना का आतंक रोधी ग्रिड मजबूत हुआ है और एलओसी के जरिए आतंकियों की घुसपैठ मुश्किल होती गई है. एक अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र के फायदे के लिए शांति और स्थिरता को लेकर अपने प्रयास में हम आतंकवाद रोधी और घुसपैठ रोधी अभियानों में कोई कमी नहीं लाएंगे. साथ ही, उन्होंने कहा कि सैन्य बलों को अभियान को लेकर पूरी आजादी मिलती रहेगी.
अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है. आतंकवाद के कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. दोनों देशों के डीजीएमओ ने हॉटलाइन संपर्क तंत्र को लेकर चर्चा की और नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की.
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Posted by : Vishwat Sen