Ministry of Defense: भारतीय वायु सेना और भारतीय थल सेना ने पहली बार 15 हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्र में आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब का पैरा-ड्रॉप परीक्षण किया. स्वदेशी विकसित क्रिटिकल ट्रॉमा केयर क्यूब को प्रोजेक्ट भीष्म (भारत स्वास्थ्य पहल सहयोग हित और मैत्री) के तहत विकसित किया गया है. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भाैगाेलिक तौर पर कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा के दौरान मानवीय सहायता पहुंचाने में यह प्रयास काफी मददगार साबित होगा. इस परीक्षण के दौरान वायु सेना ने अपने आधुनिक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-130 जे से क्यूब को एयरलिफ्ट किया और और उसे पैरा-ड्रॉप किया. वहीं आगरा स्थित भारतीय सेना की पैरा ब्रिगेड ने ड्रॉप उपकरणों का उपयोग करके ट्रॉमा केयर क्यूब की सफल तैनाती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस प्रदर्शन ने सबसे दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में भी मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने में सैन्य बल का क्षमता का पता चलता है.
सेना में समन्वय का प्रतीक है यह परीक्षण
भीष्म क्यूब का सफल पैरा-ड्रॉप और उसका उचित तरीके जगह पर तैनाती से देश की सेनाओं की बीच बेहतर समन्वय का सटीक उदाहरण है. यह परीक्षण दिखाता है कि आपदा के समय सेना लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कैसे मिलकर काम करती है. सफल परीक्षण से आपदा के दौरान देश के दूरस्थ और भौगोलिक तौर पर कठिन इलाकों में भी सेना तय समय में लोगों को राहत पहुंचाने में मददगार साबित होगी. इस परीक्षण से हिमाचल, उत्तराखंड, कश्मीर घाटी, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों में आपदा के दौरान सेना हर तरह की मदद पहुंचाने में कामयाब हो सकेगी. साथ ही आपदा के दौरान लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी.