विदेश मंत्रालय ने आईटी कुशल युवाओं को निशाना बनाने वाले फर्जी जॉब रैकेट के संबंध में एडवाइजरी जारी की. एडवाइजरी में कहा गया है कि पीड़ितों को कथित तौर पर अवैध रूप से सीमा पार म्यांमार ले जाया जाता है और कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए बंदी बना लिया जाता है. एडवाइजरी में चेतावनी दी गई है कि भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे इस तरह के फर्जी जॉब ऑफर्स के झांसे में आने से बचे.
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मंत्रालय ने एडवाइजरी में कहा है कि कॉल सेंटर घोटाले और क्रिप्टो-मुद्रा धोखाधड़ी में शामिल संदिग्ध आईटी कंपनियां भारतीय युवाओं को डिजिटल बिक्री और विपणन अधिकारियों के पदों के लिए कई तरह के प्रलोभन देती है. ऐसे प्रलोलभ देकर वो नकली नौकरी रैकेट चला रही हैं. वहीं, थाईलैंड इन मामलों को हाल ही में इसके मिशनों द्वारा मंत्रालय के संज्ञान में बैंकाक और म्यांमार लाया गया है.
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लक्षित समूह आईटी-कुशल युवा हैं जिन्हें सोशल मीडिया विज्ञापनों के साथ-साथ दुबई और भारत स्थित एजेंट, सलाहकार ने इस बारे में बताया. वहीं, भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या अन्य स्रोतों के माध्यम से जारी किए जा रहे ऐसे फर्जी नौकरी प्रस्तावों में आने से बचे और लोगों को भी इस बारे में जानकारी. इसके अलावा नौकरी पेशा के लिए पर्यटक/विजिट वीजा पर यात्रा करने से पहले, भारतीय नागरिकों को संबंधित मिशनों के माध्यम से विदेशी नियोक्ताओं की साख की जांच/सत्यापन करने की सलाह भी दी जाती है.
MEA issues advisory regarding fake job rackets targeting IT skilled youth; "…Victims are reportedly taken across the border illegally mostly into Myanmar & held captive to work under harsh conditions. Indian nationals are advised not to get entrapped in such fake job offers…" pic.twitter.com/s9nka19p1j
— ANI (@ANI) September 24, 2022
इससे पहले शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसने म्यांमार में नौकरी में फंसाने के रैकेट में शामिल चार कंपनियों की पहचान कर ली है और भारतीयों को बचाने के लिए काम कर रही है – इसमें लगभग 100 से 150 पुरुष – जो अभी भी वहां फंसे हुए हैं. अब तक अधिकारी 32 लोगों को बचाने में कामयाब हुए हैं. जबकि, हैदराबाद और दिल्ली के लोग जो लौटने में कामयाब रहे हैं, उन्होंने टीओआई को बताया कि माना जाता है कि कम से कम 500 भारतीय लोग वहां फंसे हुए हैं.