भारत सरकार ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए वर्ष 2009-10 में एक योजना की शुरुआत की थी. ‘मिशन वात्सल्य’ योजना. बाल संरक्षण सेवा योजना की शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने की थी. मिशन का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान करना, हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान करना, उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक इको-व्यवस्था स्थापित करना है, जिसमें उनका पूर्ण विकास हो.
‘मिशन वात्सल्य’ की खूबियां
इसके साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ‘किशोर न्याय कानून 2015’ के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना था. ‘मिशन वात्सल्य’ अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है.
क्या हैं ‘मिशन वात्सल्य’ के मुख्य कार्य
‘मिशन वात्सल्य’ के मुख्य कार्यों में संवैधानिक निकायों के कामकाज में सुधार लाना, सेवा प्रदान करने के ढांचे को मजबूत बनाना, संस्थागत देखभाल और सेवाओं के स्तर में वृद्धि करना, गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करना, आपात स्थिति में पहुंच उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण शामिल हैं.
राज्यों ने मंत्रालय के साथ किया समझौता पत्र
सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने यहां इस योजना को लागू करने के लिए मंत्रालय के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं. ‘मिशन वात्सल्य’ को केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तौर पर केंद्र तथा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के बीच निर्धारित लागत बंटवारा अनुपात के अनुरूप लागू किया जायेगा.
मिशन वात्सल्य योजना के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘मिशन वात्सल्य’ योजना के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये हैं. राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन से वर्ष 2022-23 के लिए इस संबंध में वित्तीय नियम दिशा-निर्देश के आधार पर अपने वित्तीय प्रस्ताव और योजनाएं तैयार करने को कहा है. ‘मिशन वात्सल्य’ योजना के नियम एक अप्रैल 2022 से लागू होंगे.