JDU के समर्थन वापसी की भ्रामक खबर से सियासी हलचल तेज, क्या गिर जाएगी मणिपुर सरकार? जानें सियासी गणित

JDU withdraws support to Manipur: जेडीयू के मणिपुर सरकार से समर्थन वापसी की भ्रामक खबर से सियासी हलचल तेज हो गई है. बिहार से लेकर मणिपुर तक चर्चा का दौर जारी है. सवाल उठने लगे हैं कि क्या एन बीरेन सिंह की सरकार गिर जाएगी? आइए सियासी गणित जानते हैं.

By Ayush Raj Dwivedi | January 22, 2025 7:20 PM
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JDU withdraws support to Manipur: मणिपुर में जेडीयू के सरकार से समर्थन वापसी को लेकर चर्चा भ्रामक निकली है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन सिंह ने इस मामले पर सफाई दी है और समर्थन वापसी की बात को भ्रामक बताया है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने इस पूरे मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह भ्रामक और निराधार खबर है. पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है और पार्टी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया है. हमने एनडीए का समर्थन किया है और हमारा समर्थन है.” मणिपुर में एनडीए सरकार आगे भी जारी रहेगी.

अगर जेडीयू ने मणिपुर में बीजेपी से समर्थन वापस लिया तो क्या होगा ?

अगर बात मणिपुर विधानसभा में आकड़ों की करें तो भाजपा के पास वर्तमान में 32, एनपीएफ के पास 5 और एनपीपी के पास 7 सीटें हैं. जेडीयू को पिछले विधानसभा चुनाव में 6 सीटें मिली थीं. इसके अलावा कांग्रेस के पास 5 और केपीए के पास 2 सीटें हैं. बात दें कि जेडीयू के समर्थन वापस लेने से भाजपा सरकार पर तत्काल कोई खतरा नहीं है. अब कयास लगाया जा रहा है कि इससे आगे एनडीए के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

एनपीपी पहले ही ले चुकी है समर्थन वापस

एनपीपी ने पहले ही अपना समर्थन वापस ले ली थी. सवाल उठ रहा है कि समर्थन वापसी के बाद क्या मणिपुर की बीजेपी सरकार अल्पमत में आ जाएगी. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के रिजल्ट पर एक नजर डालें, तो बीजेपी ने 60 में कुल 32 सीटों पर कब्जा किया था. जबकि कांग्रेस ने 5, जदयू को 6, नागा पीपुल्स फ्रंट को 5 और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2 और 3 सीटें निर्दलीय ने जीता था.

जेडीयू राज्यपाल को समर्थन वापसी का पत्र भेजा

जेडी(यू) के पीछे हटने के बावजूद उसके इस कदम से बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की स्थिरता को तत्काल कोई खतरा होने की आशंका नहीं है. राज्य विधानसभा में मजबूत बहुमत रखने वाली भाजपा के बिना किसी महत्वपूर्ण व्यवधान के सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने की संभावना है.

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