मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच सिंधिया गुट के बागी विधायकों को मनाने में जुटी कांग्रेस की उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है. कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद बागी विधायकों ने बेंगलुरु से भोपाल आने से इनकार कर दिया है. इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता ने तंज कसते हुए कहा कि उन विधायकों को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. विधायकों का कोरोना टेस्ट होना चाहिए.
आपको बता दें कि शुक्रवार को इन विधायकों को बेंगलुरु के रिजॉर्ट से कैंपागौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक लाया गया था, लेकिन बाद में सभी विधायक यहां से वापस होटल लौट गये. बताया जा रहा है कि पूर्व में इन विधायकों को बेंगलुरु से वापस लाने के लिए कांग्रेस की ओर से सारी तैयारियां करा ली गयी थी. भोपाल लौटने से इनकार करने वाले 19 विधायकों ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी है. पूर्व में इन विधायकों ने मध्य प्रदेश के डीजीपी से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग भी की थी.
इन बागी विधायकों में से छह विधायक को स्पीकर एनपी प्रजापति से मुलाकात करनी थी. विधायकों के न आने पर प्रजापति ने कहा कि उन्होंने तीन घंटे तक विधायकों का इंतजार किया, लेकिन कोई नहीं आया. सिंधिया समर्थक कुल 22 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को अपने इस्तीफे भेजे हैं.
राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की सलाह पर छह मंत्रियों को उनके पदों से हटा दिया. ये सभी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं. हटाये गये मंत्रियों में इमरती देवी, तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी शामिल हैं.
इसी हफ्ते मध्य प्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच की खींचतान इस हद तक बढ़ी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. बेंगलुरु में मौजूद सिंधिया समर्थक 19 कांग्रेस विधायकों ने भी उनके समर्थन में इस्तीफा दे दिया. इनमें कमलनाथ सरकार के छह मंत्री भी शामिल हैं. हालांकि इनमें से किसी का भी विधायक पद से इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है.