केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जैविक उत्पाद, बीज और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तीन नई सहकारी समितियों के गठन का फैसला किया है. बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर की सहकारी जैविक समिति, सहकारी बीज समिति एवं सहकारी निर्यात समिति का पंजीकरण किया जायेगा.
35 साल बाद तीन नयी बहु सहकारी समितियां गठित करने पर लिया गया फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, सहकारिता क्षेत्र एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस संदर्भ में, मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो ‘सहकार से समृद्धि’ के हमारे दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय श्रम एवं रोजगार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सहकारिता- ग्रामीण भारत का अहम हिस्सा है और मंत्रिमंडल ने 35 साल बाद तीन नई बहु सहकारी समितियां गठित करने का अहम फैसला लिया है.
1984 में लागू किया गया था बहु-राज्यीय सहकारिता समिति कानून
बहु-राज्यीय सहकारिता समिति कानून 1984 में लागू किया गया था. वर्ष 1987 में इस कानून के तहत ट्राइफेड (ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) को एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था के रूप में स्थापित किया गया था.
देश में करीब 8.5 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां
देश में लगभग 8.5 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां हैं जिनमें 29 करोड़ सदस्य हैं. इन तीन राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियों की स्थापना से ग्रामीण विकास होगा. मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित सहकारी जैविक समिति – घरेलू और वैश्विक बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को खोलने में मदद करेगी. यह सहकारी समितियों और अंततः उनके किसान सदस्यों को सस्ती कीमत पर परीक्षण और प्रमाणन की सुविधा देकर बड़े पैमाने पर एकत्रीकरण, ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से जैविक उत्पादों की उच्च कीमत का लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी.