मोदी सरकार ने विज्ञापनों पर तीन साल में खर्च किए करीब 17 सौ करोड़ रुपए, बताई ये वजह
मोदी सरकार(Modi government) ने विज्ञापनों पर तीन साल यानी 2018-2021 के बीच करीब 1700 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. विज्ञापनों पर किए गए खर्चों(spent on advertisements) का ब्यौरा देते हुए सरकार ने कहा कि ये सभी विज्ञापन प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में दिए गए हैं.
मोदी सरकार(Modi government) ने पिछले तीन सालों में विज्ञापन पर करीब 1700 करोड़ रुपए खर्च(spent on advertisements) किए हैं. केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि पिछले तीन साल यानी साल 2018 से 2021 के बीच प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिए विज्ञापनों पर करीब 1700 करोड़ खर्च किए हैं. बता दें कि एआईयूडीएफ(AIUDF) सांसद बदरुदीन अजमल के किए एक सवाल का जवाब देते हुए सूचना एंवम् प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने ये जानकारी दी. उन्होंने इसका ब्यौरा देते हुए कहा कि इस पैसे को जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए विज्ञापन के लिए खर्च किया गया है.
लोकसभा में उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए अनुराग ठाकुर ने लिखित जवाब में बताया कि ‘सरकार द्वारा दिए गए विज्ञापनों का मुख्य उद्देश्य प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और बाहरी मीडिया के जरिए दूर-दराज में रहने वाले लोगों के साथ साथ इच्छित लाभार्थियों के बीच में सरकारी नीतियों, जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना है, जिसके लिए विज्ञापन दिए जाते हैं.
वहीं, मंत्रालय की तरफ से दिए गए आंकड़ों के अनुसार सरकार ने अखबारों या प्रिंट माध्यमों के जरिए दिए गए विज्ञापनों पर पूरे 826.5 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इसमें कहा गया है कि 2020-21 में 6,085 अखबारों में विज्ञापन दिए गए जिसमें 118.59 करोड़ रुपए खर्च हुए. वहीं, 2019-20 में 5,365 अखबारों में विज्ञापन दिए गए जिसमें 200 करोड़ रुपए और 2018-19 में 6.119 अखबारों को विज्ञापन दिए गए जिसमें 507.9 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.
Also Read: Corona Virus: ओमिक्रोन को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, बिहार के सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी
वहीं, लिखित प्रतिक्रिया में ये भी बताया गया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों के लिए सरकार ने पिछले तीन सालों में पूरे 193.52 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. आपको बता दें कि इससे पहले अनुराग ठाकुर ने संसद में ये बताया है कि सरकार ने टेंडर और नौकरी की भर्तियों के लिए गैर-संचार विज्ञापनों पर खर्चों को कम किया है.