नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के टारगेट किलिंग को लेकर केंद्र की मोदी सरकार अब सख्त हो गई है. पाकिस्तान की सरपरस्ती में चीन के अत्याधुनिक हथियार और तकनीकों का इस्तेमाल कर घाटी में आम नागरिकों की सरेआम हत्या करने वाले आतंकियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीपीएफ) के करीब 5,500 से अधिक अतिरिक्त जवान भेजे गए हैं.
अधिकारियों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने और जमीनी स्तर पर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति के तहत सीएपीएफ की अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजा गया है. अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अक्टूबर में ही निर्देश दे दिया था कि आतंकियों की टारगेट किलिंग के खिलाफ केंद्रीय बलों की लगभग 55 नई कंपनी कश्मीर घाटी में तैनात की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस कवायद की अंतिम पांच कंपनी अगले सप्ताह तक तैनात की जाएंगी. इनमें से 25 कंपनियां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की हैं और बाकी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की हैं. सीएपीएफ की एक कंपनी में तकरीबन 100 कर्मी होते हैं.
सीआरपीएफ के जवानों को जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था बनाए रखने और आतंकवाद रोधी एक्शन के लिए बड़े पैमाने पर तैनात किया गया है, जिसकी करीब 60 बटालियन (हर बटालियन में करीब 1,000 कर्मी) कश्मीर में ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में नियमित तैनाती के रूप में हैं.
इसके अलावा, बीएसएफ सेना की अभियानगत कमान के तहत भारत-पाकिस्तान के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा करती है और इसकी कुछ इकाइयां शहरों की भी कानून-व्यवस्था को संभालती हैं.
घाटी में नए बंकर स्थापित किए गए हैं और लोगों की तलाशी बढ़ा दी गई है. केंद्रीय और राज्य के पुलिसकर्मी लगातार वाहनों की जांच कर रहे हैं. यहां तक कि लाल चौक के आसपास के इलाकों में महिलाओं की तलाशी के लिए सीआरपीएफ की महिला जवानों को भी तैनात किया गया है.