यूपीए के हथियार से संसद में विपक्ष के हंगामे को रोकेगी मोदी सरकार, राज्यसभा एमपी के लिए आचार संहिता जारी
बता दें कि संसद में विपक्ष के हंगामे को रोकने के लिए केंद्र की मोदी जिस हथियार का इस्तेमाल करने जा रही है, उसे पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दूसरे कार्यकाल में ही तैयार किया गया था.
नई दिल्ली : आज से एक दिन बाद 31 जनवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दौरान सदन में विपक्ष किसी भी मुद्दे पर आसानी से हंगामा खड़ा नहीं कर पाएगा. मॉनसून और शीत सत्र के दौरान मिले अनुभवों और विपक्षी हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही में उपजे गतिरोध को देखते हुए राज्यसभा सदस्यों के लिए आचार संहिता जारी की गई है. भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के निर्देश पर उच्च सदन के सदस्यों के लिए यह आचार संहिता जारी की गई है. इसमें खास बात यह है कि राज्यसभा सदस्यों के लिए जो आचार संहिता जारी की गई है, उसे यूपीए-टू सरकार के कार्यकाल में ही मंजूरी दी गई थी.
20 अप्रैल 2005 को दी गई थी मंजूरी
बता दें कि संसद में विपक्ष के हंगामे को रोकने के लिए केंद्र की मोदी जिस हथियार का इस्तेमाल करने जा रही है, उसे पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दूसरे कार्यकाल में ही तैयार किया गया था. राज्यसभा सदस्यों के लिए आचार संहिता में कहा गया है कि इसे लेकर सदन की आचरण समिति ने अपनी चौथी रिपोर्ट 14 मार्च, 2005 को पेश की थी, जिसे इसे 20 अप्रैल, 2005 को मंजूरी दी गई.
समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट में सदस्यों के लिए आचार संहिता पर विचार किया, जिसे परिषद ने भी मंजूरी दे दी. सदन की प्रक्रिया और कामकाज के संचालन को लेकर कहा गया है कि सदस्यों को जनता के विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेदारी स्वीकार करना चाहिए. उन्हें जनता की भलाई के लिए काम करने के जनादेश का निर्वाह करने के लिए लगन से काम करना चाहिए.
शीतकालीन सत्र में हुआ था काफी हंगामा
बताते चलें कि राज्यसभा के शीतकालीन सत्र 2021 और उसके पूर्व मानसून सत्र में सत्ता पक्ष के साथ टकराव की वजह से विपक्ष काफी हंगामा किया था. इस हंगामे की वजह से सदन के 12 विपक्षी सदस्यों को सरकार के प्रस्ताव पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया था. इन 12 सदस्यों ने मानसून सत्र के अंतिम दिन कथित तौर पर सदन के सुरक्षाकर्मियों को धमकी भी दी थी और उन्हें शारीरिक रूप से क्षति पहुंचाई थी. सदस्यों ने सदन के पीठासीन अधिकारी को भी घेर लिया था. उनके निलंबन का मुद्दा पूरे शीत सत्र में छाया रहा था.
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आचार संहिता के प्रमुख बिंदू
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माननीय सदस्यों को संविधान, कानून, संसदीय संस्थानों और आम जनता के प्रति उच्च सम्मान रखना चाहिए.
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सदस्य संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित आदर्शों को वास्तविकता में बदलने के निरंतर प्रयास करें.
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माननीयों को ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जो संसद को बदनाम करे और उनकी विश्वसनीयता पर असर डाले.
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संसद सदस्य के नाते जनता की भलाई के लिए हमेशा कार्यरत रहना चाहिए.
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निजी और सार्वजनिक हितों के बीच टकराव न हो, इसका खासतौर से खयाल रखें.
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यदि हितों में टकराव पैदा हो तो उसे इस तरह से हल करना चाहिए कि उनके निजी हित उनके सार्वजनिक कार्यों में बाधक न बनें.
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सदस्यों के निजी आर्थिक हित और उनके परिवार के सदस्यों के हितों का सार्वजनिक हितों से टकराव न हो.
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कभी निजी व सार्वजनिक आर्थिक हितों में टकराव हो तो उसे इस तरह से हल करना चाहिए कि सार्वजनिक हित खतरे में न पड़े.
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माननीयों को ऐसे उपहार, शुल्क या पारिश्रमिक नहीं लेना चाहिए जो सदन में प्रश्न पूछने व अन्य सार्वजनिक कार्यों में बाधक बनें.
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यदि उनके पास सांसद के नाते कोई गोपनीय जानकारी है, तो उन्हें नियमों के अनुसार अपने व्यक्तिगत हितों के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.