जल जीवन मिशन से पेयजल संकट को दूर करेगी मोदी सरकार, वाटर सप्लाई पर नजर रख सकेंगी ग्रामीण महिलाएं
जल जीवन मिशन के निदेशक भरत लाल ने कहा कि हर ग्राम सभा में पांच महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो पूरे गांव में पानी की गुणवत्ता, आपूर्ति आदि पर नजर रखेंगी.
नई दिल्ली : देश में व्याप्त पेयजल संकट को दूर करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार तेजी से काम कर रही है. वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से करीब 8.67 करोड़ यानी 45.15 फीसदी ग्रामीण परिवारों तक नल का जल उपलब्ध कराया चुका है और जल्द ही इसे सौ फीसदी ग्रामीण आबादी तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत पानी की आपूर्ति और उसकी गुणवत्ता पर ग्राम सभा की महिलाओं की पैनी नजर होगी.
अभी हाल ही में जल जीवन मिशन के निदेशक भरत लाल ने कहा कि हर ग्राम सभा में पांच महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो पूरे गांव में पानी की गुणवत्ता, आपूर्ति आदि पर नजर रखेंगी. इसके लिए इन महिलाओं को किट मुहैया जाएगा, जिसके जरिए वे पानी की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगी. इसके साथ ही, स्वयं-सहायता महिलाओं के समूह के जरिए ग्रामीणों को जल संरक्षण, स्वच्छ पेयजल आदि के बारे में जागरूक किया जाएगा.
अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाएगी सरकार : पीएम मोदी
बता दें कि 15 अगस्त 2021 को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए और ‘कोई भी छूटे नहीं’. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें शत-प्रतिशत उपलब्धि की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना है. जब सरकार अंतिम पंक्ति में व्यक्ति तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ काम करती है, तब कोई भेदभाव नहीं होता है और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश भी नहीं रह जाती है.
8.67 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचा नल का जल
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में केंद्र की मोदी सरकार की ओर से जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी. उस समय देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 फीसदी) के पास नल जल की आपूर्ति थी. कोरेाना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में तमाम चुनौतियों के बावजूद 5.44 करोड़ (28.31 फीसदी) से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल का जल मुहैया कराया गया. फिलहाल, करीब 8.67 करोड़ (45.15 फीसदी) ग्रामीण परिवारों को नल का जल उपलब्ध कराया गया है. इसमें गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी और हरियाणा शामिल हैं.
4.5 लाख गांवों में पानी समिति गठित
सरकार की ओर से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश के करीब 4.5 लाख गांवों में वीडब्ल्यूएससी या पानी समिति का गठन किया गया है और 3.37 लाख गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना तैयार की गई है. फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए 8.5 लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है. वे नमूने एकत्र करते हैं और इसकी गुणवत्ता का परीक्षण करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपूर्ति किया गया जल निर्धारित मानकों के अनुसार है. एफटीके की परीक्षण रिपोर्ट जेजेएम पोर्टल पर अपलोड की जाती है. आज देश में 2,000 से अधिक जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं, जो पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए मामूली कीमत पर जनता के लिए कार्यरत हैं.
सरकार ने उठाए ये कदम
जल जीवन मिशन के तहत पेयजल संकट को दूर करने के लिए सरकार की ओर से पानी की कमी वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत गांवों में कई कदम उठाए गए. इसके परिणामस्वरूप, जेई-एईएस प्रभावित जिलों में नल जल की आपूर्ति 8 लाख (3 फीसदी) घरों से बढ़कर 1.19 करोड़ (39.38 फीसदी) घरों में हो गई है और आकांक्षी जिलों में यह 24 लाख (7 फीसदी) घरों से 1.28 करोड़ (38 फीसदी) हो गई है.
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स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में नल जल उपलब्ध
देश के स्कूलों, आश्रमों और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को सुरक्षित नल जल सुनिश्चित करने के लिए अब तक 8.33 लाख (81.33 फीसदी) स्कूलों और 8.76 लाख (78.48 फीसदी) आंगनवाड़ी केंद्रों को उनके परिसरों में नल जल उपलब्ध कराया गया है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के सभी स्कूलों को नल जल आपूर्ति प्रदान की गई है.