नयी दिल्ली: ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बड़ा कदम उठाने जा रहा है. आने वाले तीन वर्षों में देश में ‘फ्लीट मोड’ में एक साथ 10 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जायेगी. ये परमाणु ऊर्जा संयंत्र 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाये जायेंगे. कर्नाटक के कैगा में 2023 में 700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा संयंत्र की नींव डालने के साथ भारत इन परमाणु रिएक्टरों का निर्माण शुरू करेगा.
परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएइ) के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि कैगा इकाइयों पांच व छह का एफपीसी 2023 में अपेक्षित है. गोरखपुर, हरियाणा अणु विद्युत परियोजन इकाइयों में तीन और चार और माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाई एक से चार का एफपीसी 2024 में अपेक्षित है. मध्य प्रदेश परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाइयों में एक और दो का एफपीसी 2025 में चुटका महोने की संभावना है.
केंद्र ने जून 2017 में 700 मेगावाट के 10 स्वदेशी विकसित दबावयुक्त भारी जल संयंत्र (पीएचडब्ल्यूआर) के निर्माण को मंजूरी दी थी. यह पहली बार है, जब सरकार ने लागत कम करने और निर्माण के समय में तेजी लाने के उद्देश्य से एक बार में 10 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दी थी. ‘फ्लीट मोड’ के तहत पांच साल की अवधि में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की उम्मीद है. वर्तमान में भारत में 6780 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ 22 रिएक्टरों का संचालन होता है.
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डीएइ के एक अधिकारी ने कहा कि ‘फ्लीट मोड’ प्रोजेक्ट्स के लिए थोक स्तर पर खरीद की जा रही है. इसमें स्टीम जेनरेटर, एसएस 304 एल जाली ट्यूब और एंड शील्ड के लिए प्लेट, प्रेशराइजर फोर्जिंग, ब्लीड कंडेनसर फोर्जिंग, 40 स्टीम जनरेटर के लिए इंकोलॉय-800 ट्यूब, रिएक्टर हेडर के निर्माण के लिए ऑर्डर दिये गये हैं. उन्होंने कहा कि गोरखपुर इकाई तीन और चार, कैगा इकाई पांच और छह के टरबाइन आइलैंड के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण पैकेज दिये गये हैं.
गुजरात के काकरापार में 700 मेगावाट का रिएक्टर पिछले साल 10 जनवरी को ग्रिड से जोड़ा गया था, लेकिन अब तक इसका वाणिज्यिक संचालन शुरू नहीं हुआ है. पीएचडब्ल्यूआर प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के रूप में और भारी जल को मॉडरेटर के रूप में उपयोग करते हैं, जो भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के मुख्य आधार के रूप में उभरे हैं.
Posted By: Mithilesh Jha