मंकीपॉक्स बन सकता है स्थानिक रोग, जानिए कैसे लगाई जा सकती है लगाम
विशेषज्ञों का मानना है कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामलों में हो रही वृद्धि के बीच ऐसी चिंताएं भी हैं कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो मंकीपॉक्स अमेरिका और यूरोप जैसे उन क्षेत्रों में भी स्थानिक रोग के तौर पर जगह बना सकता है, जहां आमतौर पर यह नहीं पाया जाता है.
नई दिल्ली : भारत समेत दुनिया में मंकीपॉक्स के मरीज पाए जा रहे हैं. इससे लोगों में दहशत भी बना हुआ है. इस साल मई के बाद से अब तक दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 26,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा. मंकीपॉक्स वायरस के बारे में खास बात यह है कि इसके ज्यादातर मामले उन देशों में सामने आए हैं, जहां आमतौर पर यह वायरस नहीं पाया जाता. इसके अलावा मुख्य रूप से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में मिले वाले पिछले वायरसों के विपरीत यह वायरस संक्रमित पशु के संपर्क में आने से नहीं, बल्कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा है. आशंका यह व्यक्त की जा रही है कि अगर यह स्थानिक रोग बन गया, तो फिर इसे संभाल पाना मुश्किल है.
स्थानिक रोग बन सकता है मंकीपॉक्स
दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामलों में हो रही वृद्धि के बीच ऐसी चिंताएं भी हैं कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो मंकीपॉक्स अमेरिका और यूरोप जैसे उन क्षेत्रों में भी स्थानिक रोग के तौर पर जगह बना सकता है, जहां आमतौर पर यह नहीं पाया जाता है. स्थानिक रोग आम तौर पर किसी क्षेत्र विशेष में अक्सर सामने आने वाली बीमारी होती हैं, जिन पर काबू पाना मुश्किल होता है. इसलिए मंकीपॉक्स काफी चिंता का विषय बनता जा रहा है.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स का संक्रमण
मंकीपॉक्स का चिंताजनक बनने के कई कारण हैं. पहला कारण यह है कि यह बीमारी मनुष्य से मनुष्य में फैल रही है. मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के करीब जाने से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति जब खांसता या छींकता है, तो उसके पास मौजूद व्यक्ति के संक्रमित होने की आशंका रहती है. इसके अलावा कपड़े और बिस्तर साझा करने से भी इसके फैलने का खतरा रहता है. मंकीपॉक्स अन्य वायरसों के तुलना में बहुत संक्रामक नहीं है.
कितना खतरनाक है वायरस
अफ्रीका में फैले पिछले वायरसों के अध्ययन से पता चलता है कि किसी व्यक्ति के किसी संक्रमित के संपर्क में आने पर बीमार पड़ने की आशंका लगभग तीन प्रतिशत है. हालांकि, अभी तक यह तथ्य सामने नहीं आया है कि मंकीपॉक्स का मौजूदा स्वरूप कितना संक्रामक है. यह चिंता की बात है. यह इसलिए विशेष रूप से चिंता का विषय है. साल 2016 में कांगो में इस तरह के वायरस के प्रकोप के दौरान यह देखा गया कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद किसी व्यक्ति के संक्रमित होने की आशंका 50 प्रतिशत रहती है. मंकीपॉक्स वायरस को लेकर एक और चिंता की बात यह है कि यह विशिष्ट आबादी के बीच फैल रहा है, जिनमें मुख्य रूप से वे पुरुष शामिल हैं, जो पुरुषों से यौन संबंध बनाते हैं. मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों में से 98 प्रतिशत लोग इसी वर्ग के हैं. इसके अलावा दूसरी लैंगिक पहचान के लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.
असुरक्षित यौन संबंधों से फैल रहा मंकीपॉक्स का वायरस
बताया यह जा रहा है कि मंकीपॉक्स का वायरस वीर्य में भी पाया गया है. हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि वीर्य के जरिए भी यह वायरस फैल रहा है या नहीं, लेकिन एक बात तो साफ है कि बिना कंडोम के और कई लोगों के साथ यौन संबंध बनाने से भी संक्रमण फैल सकता है. हालांकि, यह शुरुआती समझ है और इसके समर्थन में साक्ष्य पेश किए जाने की जरूरत है. मंकीपॉक्स जैसे वायरस को जिंदा रहने के लिए या तो पशुओं के बीच जगह बनाने की आवश्यकता होगी या इसे उन मनुष्यों के बीच व्यापक स्तर पर फैलना होगा, जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं.
जानवरों से पैदा होता है वायरस
विशेषज्ञ मानते हैं कि मंकीपॉक्स एक पशुजनित रोग है. इसका मतलब है कि यह पशुओं से मनुष्यों में फैलता है. इसलिए मंकीपॉक्स जहां जगह बना चुका होता है, वहां यह पशुओं के जरिए मनुष्यों को संक्रमित करता है. मंकीपॉक्स कई जानवरों के जरिए फैल सकता है, जिनमें बंदर और लंगूर, गिलहरी, चूहे और चुहिया शामिल हैं. वहीं, इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस उन देशों में जगह नहीं बना सकता, जहां ये जानवर नहीं पाए जाते. 2003 में अमेरिका में पालतू ‘प्रेयरी डॉग’ (गिलहरी की एक प्रजाति) में वायरस पाया गया था, जिन्हें अन्य संक्रमित और दूसरे जानवरों के साथ रखा गया था. इसका मतलब यह है कि जिन पशुओं में यह वायरस नहीं होता, वे दूसरे जानवरों के संपर्क में आकर इसके शिकार बन सकते हैं, जिसके बाद यह वायरस मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है. लेकिन संक्रमण से ग्रस्त क्षेत्रों से जानवरों को लाने पर प्रतिबंधित लगाकर यह खतरा कम हो सकता है.
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क्या हैं बचाव के उपाय
मंकीपॉक्स को रोकने के लिए फिलहाल जो स्वास्थ्य उपाय अपनाए जा रहे हैं, उनमें संक्रमित व्यक्तियों को पृथक करना, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना और जिन लोगों के ज्यादा खतरा है, उनका टीकाकरण करना शामिल हैं. वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए ये उपाय काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं. बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए इनका सख्ती से कार्यान्वयन करने की जरूरत है. सबसे बेहतर स्थिति में भी संक्रमण के मामलों को कम करने में कई हफ्ते लग सकते हैं. लिहाजा, इन उपायों को जल्द से जल्द और उचित तरीके से लागू करने की जरूरत है. मंकीपॉक्स के बारे में सबूत बताते हैं कि लोग 28 दिन में इस बीमारी से उबर सकते हैं और कुछ लोग 21 दिन में भी वायरस को मात दे सकते हैं. कई देशों में अब भी प्रभावित लोगों के बीच मंकीपॉक्स को नियंत्रित करने के उपाय लागू करने की जरूरत है, ताकि इसे और फैलने से रोका जा सके.