Monkeypox News Updates: यूरोप से लेकर अमेरिका तक मंकीपॉक्स ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. दरअसल, दुनिया भर के देश अभी कोरोना महामारी के प्रकोप से पूरी तरह से उबर भी नहीं पाए है कि इसी बीच अब मंकीपॉक्स नामक बीमारी ने दस्तक दे दी है. भारत में भी इस नई और दुर्लभ बीमारी को लेकर सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. वहीं, इस बीमारी को लेकर विशेषज्ञ भी अपनी राय रख रहे है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर ईश्वर गिलाडा ने शनिवार को कहा है कि मंकीपॉक्स एचआईवी की तरह जूनोटिक है. यह शुरू में बंदर से वायरस के रूप में आया था, जिसे सिमियन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस कहा जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे वायरस जानवरों में फैलते हैं, लेकिन इंसानों तक पहुंच जाते हैं. डॉक्टर ईश्वर गिलाडा ने बताया कि पिछले 40 वर्षों में सभी संक्रमण वायरल हैं. बहुत शक्तिशाली एंटी-वायरल नहीं है. इसमें वायरल बदलते रहते हैं.
Pune| No one can say for a fact that a virus will become pandemic. Especially after Covid, which travelled from one small city to world, halting it for two years. But there isn't a need to panic. Need is to study: Dr Ishwar Gilada on Monkeypox pic.twitter.com/wWvRRj1p9z
— ANI (@ANI) May 21, 2022
डॉक्टर ईश्वर गिलाडा ने बताया कि इस बात का कोई तथ्य नहीं है कि यह वायरस महामारी बन जाएगा. खासकर कोविड के बाद, जिसने एक छोटे से शहर से दुनिया के कई देशों में महामारी को जन्म दिया और इसे दो साल के लिए रोक दिया. ईश्वर गिलाडा ने कहा कि लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. इस बारे में अध्ययन करने की आवश्यकता है.
यूरोप के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में भी इसके दो मामले दर्ज किए गए हैं. दोनों मामले यूरोप से लौटे दो पुरुषों में सामने आए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इन मामलों से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर आप अभी विदेश से लौटे हैं तो लक्षणों को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है.
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस से होता है, जो चेचक यानी स्मॉलपॉक्स से संबद्ध वायरस है. चेचक केवल मनुष्यों को संक्रमित करता है, लेकिन मंकीपॉक्स एक पशु वायरस है जो किसी बंदर या अन्य जानवर द्वारा काटे जाने या खरोंच मारने पर मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है. यह श्वसन संबंधी वायरस है और संपर्क में आए बिना भी मनुष्यों में फैल सकता है. हालांकि, आम तौर पर यह मनुष्यों के बीच आसानी से नहीं फैलता और केवल करीबी संपर्क के मामलों में ही फैलता है.
अध्ययनों में पाया गया है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने वाले करीब तीन फीसदी लोग संक्रमित होंगे. इस संक्रमण की चपेट में आने के एक या दो हफ्ते बाद बुखार, सिर में दर्द, कोशिकाओं के छोटे या गोलाकार समूह में सूजन और हड्डियों में दर्द के लक्षणों के साथ संक्रमण फैलता है. इसमें आम तौर पर बुखार आने के एक से तीन दिनों में त्वचा पर दाने निकल आते हैं, खासतौर से चेहरे, हाथों और पैर पर. वायरस के दो प्रकार हैं, पहला जिसमें मृत्यु दर करीब एक प्रतिशत है और दूसरे में मृत्यु दर करीब 10 प्रतिशत है.