भारत में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामले ने चिंता बढ़ा दी है. देश के कुछ हिस्सों में मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स की रोकथाम को लेकर टीका विकास और जांच किट बनाने को लेकर टेंडर निकाला है. सरकार ने संयुक्त सहयोग के लिए अनुभवी टीका निर्माताओं, फार्मा कंपनियों, अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) किट निर्माताओं से रुचि पत्र (ईओआई) भी आमंत्रित किया है. यह खबर भारत में मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आने के बीच आई है.
दवा कंपनियों को 10 अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का समय दिया गया है. इससे पहले, आईसीएमआर के तहत पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने एक मरीज के नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को अलग कर दिया है, जो बीमारी के खिलाफ जांच किट और टीके के विकास में मदद कर सकता है. एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि वायरस को अलग करना कई अन्य दिशाओं में अनुसंधान और विकास करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है.
डॉ यादव ने आगे कहा, हाल के प्रकोप ने कई देशों को प्रभावित किया है, जिससे चिंताजनक स्थिति पैदा हुई है, जो पश्चिम अफ्रीकी स्वरूप के कारण है, जो पहले सामने आए कांगो स्वरूप की तुलना में कम गंभीर है. भारत में सामने आए मामले भी कम गंभीर और पश्चिम अफ्रीकी स्वरूप से जुड़े हैं.
ईओआई दस्तावेज में कहा गया है कि आईसीएमआर मंकीपॉक्स रोग के विरुद्ध टीका विकास और जांच किट के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में संयुक्त सहयोग के तहत विनिर्माण कार्य के वास्ते मंकीपॉक्स वायरस स्वरूप/ आइसोलेट्स उपलब्ध कराने के लिए तैयार है. दस्तावेज में कहा गया है कि आईसीएमआर मंकीपॉक्स वायरस आइसोलेट्स और इससे संबंधित विधि प्रोटोकॉल पर सभी बौद्धिक संपदा अधिकार और व्यावसायीकरण के अधिकार सुरक्षित रखती है.
गौरतलब है कि 27 जुलाई को दिल्ली में एक मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरिज की पहचान की गई थी. सूत्रों ने बताया कि गाजियाबाद के रहने वाले व्यक्ति को पिछले एक सप्ताह से बुखार और घाव थे. हालांकि, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे से उसकी रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है. संदिग्ध रोगी को मंगलवार दोपहर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह अभी अस्पताल के पृथक वार्ड में है.
(इनपुट- भाषा के साथ)