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Monkeypox से बचने के लिए तुरंत डाउनलोड करें ये APP, जानिए कैसे फैलती है ये बीमारी, इन उपायों से करें बचाव

भारत में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब तक यहां चार मामले सामने आ चुके है. वहीं डब्ल्यूएचओ ने स्थिति को देखते हुए मौजूदा मंकीपॉक्स महामारी को एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि किस ऐप को डाउनलोड करके आप इसको लेकर सभी जानकारी ले सकते हैं.

Monkeypox in India: भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले बड़े स्तर पर बढ़ रहे है. अब तक यहां चार मामले सामने आ चुके है. जिसमें तीन केरल से और एक दिल्ली से आए मरीज शामिल है. हालिया सामने आया मरीज दिल्ली का 34 वर्षीय एक व्यक्ति है, जिसका विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं था. वहीं डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) ने भी स्थिति को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया है.

इस ऐप के डाउनलोड से मंकीपॉक्स के बारे में ले सभी जानकारी

भारत में इन-दिनों आम जनता कोरोना के साथ-साथ मंकीपॉक्स के डर में भी जी रही है. ऐसे में इस बीमारी से बचने के लिए आप डब्ल्यूएचओ का ऐप डाउनलोड कर सकते हैं. इस ऐप के साथ-साथ मरीज को लोकेशन के साथ-साथ मरीजों के बारे में भी पता चल सकेगा. ऐप पर इससे बचने के तरीके भी बताया जाएगा.

मंकीपॉक्स क्या है

अब सवाल उठता है कि आखिर मंकीपॉक्स क्या है और क्यों इसे इतना खतरनाक माना जा रहा है. दरअसल मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसके लक्षण चेचक के रोगियों में पूर्व में देखे गए लक्षणों के समान होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है. मंकीपॉक्स वायरस के दो अलग-अलग आनुवंशिक समूह हैं- सेंट्रल अफ्रीकन (कांगो बेसिन) स्वरूप और वेस्ट अफ्रीकन. कांगो बेसिन स्वरूप पूर्व में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बना है और इसे अधिक संक्रामक माना जाता है.

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मंकीपॉक्स कैसे फैलता है

मंकीपॉक्स का असर मनुष्यों से मनुष्यों में होता है खासतौर पर इसका प्रसार मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है, आमतौर पर संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है. यह शरीर से निकले तरल पदार्थ या घाव के सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने से फैल सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों के माध्यम से. इसके अलावा चूहे, गिलहरी और बंदर, वानर सहित छोटे संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से या उनके मांस के जरिए यह पशु से मानव में फैल सकता है.

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