मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार कोरोना के विभिन्न वेरिएंट के खिलाफ कितना कारगर, कैसे करता है यह काम, जानिए ICMR के पूर्व प्रमुख ने क्या कहा..
प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिविर से इतर कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित उपचार को बहुत कारगर माना जा रहा है. कई डॉक्टर इसे गेम चेंजर के रुप में भी देख रहे हैं. वहीं, इस मामले में ICMR में महामारी विज्ञान और संचारी रोग के पूर्व प्रमुख और वैज्ञानिक डॉ रमन आर गंगाखेडकर का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में यह पता चल जाएगा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैसे कोरोना और इसके वेरिएंट के खिलाफ काम करता हैं.
प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिविर से इतर कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित उपचार को बहुत कारगर माना जा रहा है. कई डॉक्टर इसे गेम चेंजर के रुप में भी देख रहे हैं. वहीं, इस मामले में ICMR में महामारी विज्ञान और संचारी रोग के पूर्व प्रमुख और वैज्ञानिक डॉ रमन आर गंगाखेडकर का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में यह पता चल जाएगा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैसे कोरोना और इसके वेरिएंट के खिलाफ काम करता हैं.
डॉ. रमन ने इस बारे में क्या कहाः आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संचारी रोग के पूर्व प्रमुख और वैज्ञानिक डॉ रमन आर गंगाखेडकर ने इस बारे में कहा है कि, हम यह नहीं कह सकते कि प्लाज्मा और रेमडेसिविर का उपयोग कोरोना वेरिएंट के एकमात्र कारण हैं. उन्होंने कहा है कि कुछ दिनों में यह पता चल जाएगा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैसे कोरोना और इसके प्रकारों के खिलाफ काम करता हैं.
We can’t say they (rational use of plasma & Remdesivir) are the only reasons for variants. In few days we’ll get to know how monoclonal antibodies' will work against COVID & its variants: Dr Raman R Gangakhedkar, former head scientist of epidemiology& communicable disease at ICMR pic.twitter.com/67Az1FOSzt
— ANI (@ANI) May 30, 2021
क्या है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित उपचारः बता दें, दो दवाओं को मिलाकर बनाई गई दवा को डॉक्टर अपनी भाषा में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी कहते हैं. डॉक्टरों का दावा है कि, कॉकटेल दवा के इस्तेमाल से कोरोना की गंभीरता और इससे होनेवाले मरीजों की मौत में 70 फीसदी तक की कमी आ जाती है. अमेरिका और यूरोप में इस पद्धति का जोर शोर से उपयोग किया जा रहा है. वहीं अब भारत में भी इसका धडल्ले से उओपयोग किया जा रहा है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कोरोना संक्रमित होने के बाद दवाओं का यही कॉकटेल दिया गया था.
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है गेम चेंजरः वहीं, हैदराबाद के डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित उपचार को कोरोना के खिलाफ गेम चेंजर करार दे रहे हैं. उनकी यह भी कहना है कि 55 साल से अधिक आयु के ऐसे मरीजों को यह दिया जा सकता है. उन्होंने कहा है कि इससे एक सप्ताह के भीतर मरीजों को आरटी-पीसीआर नेगेटिव बनने में मदद मिल सकती है.
गौरतलब है कि कोरोना के खिलाफ इलाज में लगे डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी को रिजेक्ट कर दिया है, साथ ही रेमडेसिविर दवा के भी इस्तेमाल रोकने पर विचार चल रा है. ऐसे में फिलहाल डॉक्टर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को नये और बेहतरीन विकल्प के रुप में देख रहे हैं.
Posted by: Pritish Sahay