केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दस्तक देने के साथ ही अरब सागर में बारिश होने तथा तेज हवाओं के कारण 9 जून से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लागू हो जाएगा. इस प्रतिबंध के कारण केरल के मछुआरों के पास तट पर रहने और समुद्री लहरों के जरिए तट पर आने वाले संभावित खजाने की तलाश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
चक्रवात ‘बिपरजॉय’ के कारण पहले से ही मछुआरों पर लगा प्रतिबंध
केरल के तटीय इलाकों में मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध और चक्रवात ‘बिपरजॉय’ के कारण मछुआरों की जीविका पहले से ही प्रभावित हो रही है और वे अब आय के अन्य विकल्पों की ओर ध्यान दे रहे हैं और समुद्री लहरों के जरिए आने वाले खजाने पर निर्भर हैं. तिरुवनंतपुरम के शांगुमुगम किनारे पर विशाल समुद्री लहरों से बेखबर बड़ी संख्या में मछुआरे सिक्के, सोना और अन्य कीमती सामान के लिए तटों को खंगाल रहे थे. कई मछुआरों को पहले ही चेन, पेंडेंट और झुमके के रूप में सोना मिल चुका है.
समुद्री लहरों से आता है खजाना, मछुआरों के लिए कमाई का साधन
सिरिल नामक एक स्थानीय मछुआरे ने कहा, जब मानसून के दौरान बारिश शुरू होती है, समुद्र अशांत हो जाता है, अपनी लहरों के जरिए छिपे हुए खजाने को ऊपर लाता है. तो हमें पैसा मिलता है. इस समय के दौरान कुछ भी कमाने का कोई दूसरा तरीका नहीं है.
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कोरोना महामारी ने भी मछुआरों की आजीविका को किया था प्रभावित
मछुआरे ने 10 रुपये का एक सिक्का दिखाते हुए, जिसे उसने तट से टकराने वाली लहरों से लड़ते हुए रेत से उठाया था, कहा कि कुछ साल पहले, हमें समुद्री किनारों से सोना और अन्य कीमती सामान भी मिलता था. लेकिन, कोविड-19 महामारी के कारण अब अधिकतर सिक्के ही मिलते हैं. एंटनी जेवियर नामक एक अन्य मछुआरे ने कहा, मुझे कल 67 रुपये मिले थे. आज मैं अभी पहुंचा ही हूं. एक व्यक्ति को अभी-अभी एक सोने का पेंडेंट मिला है, और वह चला गया है.