Monsoon 2023 : देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है. हालांकि कुछ राज्यों में हल्की बारिश ने मौसम सुहाना बना दिया है. इस बीच लोगों को इंतजार मानसून का है. तो आइए आपको बताते हैं कि इस साल देश में मानसून की क्या स्थिति रहने वाली है. दरअसल, भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार पूरे मौसम में सामान्य मानसून रहेगा. मौसम विभाग ने कहा कि जून में देश में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है.
आईएमडी के पर्यावरण निगरानी और अनुसंधान केंद्र (ईएमआरसी) के प्रमुख डी शिवानंद पई ने मानसून को लेकर जानकारी साझा की है. उन्होंने कहा है कि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों, उत्तर-पश्चिम भारत, सुदूर उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में जून में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना नजर आ रही है. पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है.
मीडिया से बात करते हुए डी शिवानंद पई ने कहा कि अल नीनो की शुरुआत के बावजूद इस मौसम में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के गर्म होने के कारण अल नीनो की स्थिति पैदा होती है. देश के अधिकांश वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों वाले मॉनसून कोर जोन में मौसमी वर्षा सामान्य रहने की संभावना है. इसके लंबी अवधि का औसत (एलपीए) 94 से 106 प्रतिशत रहने का अनुमान मौसम विभाग ने व्यक्त किया है.
– केरल में मानसून की शुरुआत 4 जून को होने की संभावना है.
– जून से सितंबर तक भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की संभावना है.
– उत्तर पश्चिमी भारत में इस साल कम बारिश का पूर्वानुमान है जबकि प्रायद्वीपीय भारत के लिए ज्यादा बारिश का पूर्वानुमान विभाग ने व्यक्त किया है.
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प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र में होने वाली एक समुद्री घटना को अल नीनो की संज्ञा दी गयी है. ये दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर इक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर देखने को मिलती है. यह घटना समुद्र में होने वाली उथल-पुथल है. इससे समुद्र के सतही जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है. जब समुद्र की सतह का पानी ज्यादा गर्म होने लगता है, तो इसका प्रभाव यह देखने को मिलता है कि समुद्र के नीचे के पानी को ये ऊपर आने पर रुकावट डालता है. अल नीनो का एक सबसे बड़ा असर ये होता है कि बारिश के प्रमुख क्षेत्र इससे बदल जाते हैं.