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पूरे देश में समय से 6 दिन पहले पहुंचा मानसून, कई राज्यों में जोरदार बारिश, जुलाई महीने में इतनी होगी बारिश

लगभग 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जून में कम बारिश हुई है. बिहार में सामान्य से 69 प्रतिशत और केरल में 60 फीसद कम बारिश हुई. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे कुछ अन्य राज्यों में भी दक्षिण-पश्चिमी मानसून के पहले महीने जून में सामान्य से कम बारिश हुई.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के शेष भाग में आगे बढ़ने के साथ ही रविवार को सामान्य तिथि से छह दिन पहले पूरे देश में पहुंच गया है. मानसून की दस्तक के साथ ही कई राज्यों में भीषण बारिश हो रही है. गुजरात में भारी बरसात से कई इलाकों में बाढ़ सी आ गई है. वहीं, मुंबई में भी भारी बारिश से जनजीवन बेपटरी हो गया है. बता दें, इससे पहले आईएमडी ने कहा था कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और दक्षिण बिहार को छोड़कर पूरे देश में जुलाई में मानसून सामान्य रहने का अनुमान है. जबकि, अपनी सामान्य तिथि यानी आठ जुलाई से पहले आज यानी रविवार को ही मानसून पूरे देश में पहुंच गया.

गुजरात में भारी बरसात से बाढ़ जैसे हालात
गौरतलब है कि गुजरात में मानसून बीते सप्ताह पहुंचा था. प्रदेश में जोरदार मानसून की बारिश हो रही है. गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश होने से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया है. प्रदेश के वलसाड और नवसारी जिलों के कुछ हिस्सों में पिछले 24 घंटे की अवधि में अत्यधिक बारिश हुई. भारी बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया. बारिश को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) फंसे हुए लोगों को बचाने के अभियान में जुटे.

लगभग 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जून में कम बारिश हुई है. बिहार में सामान्य से 69 प्रतिशत और केरल में 60 फीसद कम बारिश हुई. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे कुछ अन्य राज्यों में भी दक्षिण-पश्चिमी मानसून के पहले महीने जून में सामान्य से कम बारिश हुई. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने शुक्रवार को कहा था, ‘‘जुलाई 2023 के दौरान पूरे देश में औसत मासिक वर्षा सामान्य एलपीए का 94 से 106 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

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देशभर में जुलाई के दौरान वर्षा का दीर्घावधि औसत (एलपीए) वर्ष 1971-2020 के आंकड़ों पर आधारित है जो करीब 280.4 मिमी है. भूमध्यवर्ती प्रशांत महासागर के गर्म होने का घटनाक्रम (इसे अल-नीनो दशा कहा जाता है) जुलाई में विकसित होने की संभावना है. अल-नीनो का संबंध बारिश में कमी से जोड़ा जाता है. महापात्र ने कहा था कि हाल के अधिकतर अल-नीनो वर्षों में जून के दौरान बारिश सामान्य से कम रही है.

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