Monsoon Session: संसदीय मामलों की कमेटी की बैठक आज, मानसून सत्र को लेकर होगी चर्चा

19 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए दिल्ली को लेकर अध्यादेश जारी किया. केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लेकर आयी. जिसके तहत किसी भी अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा निर्णय उपराज्यपाल ही करेंगे.

By ArbindKumar Mishra | June 28, 2023 9:00 AM
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संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी की आज बैठक हो सकती है. जिसमें आगामी मानसून सत्र को लेकर चर्चा होने की संभावना जतायी जा रही है. संसदीय कैबिनेट कमेटी की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे. बैठक में मानसून सत्र की तारीखों को अंतिम रूप देने की भी संभावना जतायी जा रही है. ऐसे उम्मीद की जा रही है कि मानसून सत्र 17 जुलाई या 20 जुलाई से हो सकती है.

मानसून सत्र में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ हो सकता है हंगामा

मानसून सत्र में दिल्ली में उपराज्यपाल को अधिक प्रशासनिक शक्तियां देने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ भारी हंगामा हो सकता है. अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ देशभर में घूम-घूमकर विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांगा है. हालांकि कांग्रेस ने केजरीवाल को इस मामले में अबतक समर्थन देने का ऐलान नहीं किया है. केजरीवाल ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से इस मामले को लेकर मिलने का समय भी मांगा है.

क्या है केंद्र सरकार का अध्यादेश

19 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए दिल्ली को लेकर अध्यादेश जारी किया. केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लेकर आयी. जिसके तहत किसी भी अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा निर्णय उपराज्यपाल ही करेंगे. इस अध्यादेश के पर केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी कोई आम क्षेत्र नहीं है. यहां देश के कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान हैं. देश के कई संवैधानिक पदाधिकारी भी दिल्ली में ही रहते हैं. वैसे में अगर किसी भी तरह की प्रशासनिक भूल हुई तो, इसका असर न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया था फैसला

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच जारी झगड़े के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को अरविंद केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट की संसदीय पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही होना चाहिए.

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