Parliament Monsoon Session 2021 : संसद के मानसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद कांग्रेस ने बुधवार को सरकार पर ‘‘मनमानी” करने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि हमने पेगासस मामला समेत कई मुद्दों पर चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को अनसुना कर धड़ल्ले से विधेयक पारित कराये. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली बार सदन में देखा. जब सारी चीजें खत्म हो गयी तो प्रधानमंत्री सदन में आए. उन्होंने कहा कि यह सरकार लोकतंत्र और देश के लिए खतरा बनती जा रही है क्योंकि वह खुद तय करती है कि विपक्ष का कौन सा मुद्दा उचित है या अनुचित है.
संसद के मॉनसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानून को वापस लेने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के शोर-शराबे के कारण पूरे सत्र में सदन में कामकाज बाधित रहा और सिर्फ 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन हुआ. सदन की बैठक बुधवार को आरंभ होने से पहले राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में कई विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें पेगासस मामला, किसान आंदोलन और कुछ अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति चर्चा की गई.
इस बैठक में खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, शिवसेना नेता संजय राउत, द्रमुक नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव और कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए. मानसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद चौधरी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि पहले यह कहा गया था कि सदन 13 अगस्त तक चलेगा. सरकार ने अचानक से फैसला किया कि सदन चलाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार पेगासस मामला, महंगाई, केंद्रीय कृषि कानूनों और कोविड टीकाकरण को लेकर चर्चा चाहती थी.
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारी मांग थी कि तीन काले कानून को रद्द किया जाए. जब पेगासस का मामला सामने आया तो हमने सरकार को समझाने की कोशिश की कि पेगासस कोई छोटा मुद्दा नहीं है, इस पर चर्चा करना चाहिए. लेकिन सरकार ने इस विषय पर चर्चा होने का मौका नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हमारी मांग जायज थी क्योंकि सरकार ने पेगासस के मामले पर लोकसभा में एक बयान दिया और राज्यसभा में दूसरा बयान दिया. रक्षा मंत्रालय एक बयान, विदेश मंत्रालय दूसरा और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तीसरा बयान देता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को हमारी मांग माननी चाहिए थी. सदन को सुचारू रूप से चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है.
चौधरी ने कहा कि विपक्ष का फर्ज होता है कि जनता की आवाज सदन में उठायी जाए. हमने अपना फर्ज निभाया है. हम किसानों, महंगाई और कोविड एवं टीकाकरण को मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी. उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी से संबंधित विधेयक आया और राज्य सरकारों के अधिकारों का मामला आया तो हमने सरकार को पूरी मदद की क्योंकि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल अपनी जिम्मेदारी जानते हैं. उन्होंने दावा किया कि आज प्रधानमंत्री को पहली बार सदन में देखा. जब सारी चीजें खत्म हो गयी तो प्रधानमंत्री सदन में आए. इसका मतलब यह कि सदन को चलाने में सरकार की दिलचस्पी नहीं थी. सरकार की दिलचस्पी विधेयकों को धड़ल्ले से पारित कराने में थी. धड़ल्ले से विधेयक पारित कराये गये और विपक्ष को अनुसना किया गया.
चौधरी ने यह आरोप भी लगाया कि लोकसभा टीवी में विपक्ष की बातों को नहीं दिखाया जाता है. उन्होंने कहा कि लोकसभा टीवी हम सबका है. लोकसभा टीवी और संसद किसी पार्टी नहीं होते है. हमने कहा कि हम जो बात रखते हैं वो देश को दिखाया जाए. लेकिन नहीं दिखाया गया. सरकार खुद तय करती है कि कौन सी मांग जायज और कौन सी नाजायज है. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस तरह की सरकार हमारे देश एवं लोकतंत्र के लिए खतरा बनती जा रही है.
Posted By : Amitabh Kumar