Monsoon Session : लोकतंत्र में विपक्षी सदस्यों के विचारों का सम्मान करना हमारा प्रयास होना चाहिए : ओम बिरला
Monsoon Session, Lok Sabha Speaker, Om Birla : नयी दिल्ली : संसद का मानसून सत्र जुलाई में शुरू होनेवाला है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मानसून सत्र के शुरू होने के पहले कहा है कि लोकतंत्र में विपक्षी सदस्यों के विचारों का सम्मान करना हमारा प्रयास होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा है कि कुछ संसद समितियों के अध्यक्षों ने वर्चुअल बैठक की मांग की है.
नयी दिल्ली : संसद का मानसून सत्र जुलाई में शुरू होनेवाला है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मानसून सत्र के शुरू होने के पहले कहा है कि लोकतंत्र में विपक्षी सदस्यों के विचारों का सम्मान करना हमारा प्रयास होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा है कि कुछ संसद समितियों के अध्यक्षों ने वर्चुअल बैठक की मांग की है.
In democracy, our effort should be to respect views of Opposition members. My attempt has been to give sufficient time to party which has even a single member in the House. In democracy, decisions should be taken based on a broad consensus & not just majority: LS Speaker Om Birla pic.twitter.com/6ofrspvJvr
— ANI (@ANI) June 19, 2021
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा है कि लोकतंत्र में हमारा प्रयास विपक्षी सदस्यों के विचारों का सम्मान करने का होना चाहिए. मेरा प्रयास है कि जिस दल का सदन में एक भी सदस्य हो, उसे पर्याप्त समय दिया जाये. लोकतंत्र में निर्णय व्यापक सहमति के आधार पर लिये जाने चाहिए, ना कि केवल बहुमत के आधार पर.
Chairmen of some parliamentary committees have demanded to hold meetings virtually. Since meetings of the committees are classified as per LS rules, they should not be held virtually or come in public domain. We'll take this request to our Rules Committee & discuss it: LS Speaker pic.twitter.com/F2TD69EniC
— ANI (@ANI) June 19, 2021
उन्होंने कहा कि कुछ संसदीय समितियों के अध्यक्षों ने वर्चुअल बैठकें करने की मांग की है. चूंकि समितियों की बैठकें लोकसभा के नियमों के अनुसार वर्गीकृत की जाती हैं, इसलिए उन्हें वर्चुअल आयोजित नहीं किया जाना चाहिए या सार्वजनिक डोमेन में नहीं आना चाहिए. हम इस अनुरोध को अपनी नियम समिति के पास ले जायेंगे और इस पर चर्चा करेंगे.
वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष के तौर पर माननीय सदस्यों का स्नेह, सहयोग और समर्थन मिला. माननीय सदस्यों के सामूहिक प्रयासों से ही लोकसभा ने दो वर्षों में ऐतिहासिक सफलताएं प्राप्त कीं.
उन्होंने कहा है कि दलगत मतभेदों के बावजूद देशहित और जनहित के विषयों पर माननीय सांसदों की एकजुटता विभिन्न अवसरों पर परिलक्षित हुई, जिससे आमजन में लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी तथा जनतंत्र के इस सर्वोच्च मंदिर की प्रतिष्ठा में अभिवृद्धि हुई.
उन्होंने कहा कि कोविड संकट के दौरान आमजन की सहायता, कार्य उत्पादकता, नवाचार, वित्तीय सुधार, लोकतांत्रिक मूल्यों के सशक्तीकरण, युवाओं की संवैधानिक मूल्यों में आस्था में अभिवृद्धि के प्रयास, विधानमंडलों के कार्यकरण में सुधार सहित सभी मंचों पर 17वीं लोकसभा ने उल्लेखनीय कार्य किये.
साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वास है कि 17वीं लोकसभा की गौरवमयी यात्रा संसदीय इतिहास में मील का पत्थर सिद्ध होगी. भविष्य के माननीय सदस्यों को और बेहतर कार्य करने और आमजन के कल्याण हेतु बड़े लक्ष्य रखने की प्रेरणा देगी.
लोजपा को लेकर उन्होंने कहा है कि लोजपा का मामला दलबदल का नहीं, बल्कि संसदीय दल के नेता के चुनाव का है. उन्होंने संसदीय दल की बैठक की और बैठक की कार्यवाही लोकसभा सचिवालय को सौंपी है, जिसने सत्यापन के बाद, उनके द्वारा चुने गये नेता को मान्यता दी.
वहीं, सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर ओम बिरला ने कहा है कि दोनों सदनों ने हमारी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार से एक नया संसद भवन बनाने का अनुरोध किया था. नये भवन का प्रस्ताव हमारे द्वारा किया गया था, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया. यह सरकार की पहल नहीं है.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय समितियां दलीय रेखा से ऊपर उठ कर जनहित के मामलों पर चर्चा करती हैं. पिछले सत्र के दौरान संसदीय समितियों द्वारा 2664 सिफारिशें की गयीं, जिनमें से 1762 को सरकार ने स्वीकार कर लिया. निश्चित रूप से संसदीय समितियों का महत्व है.