संसद का मानसून सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है. इसके एक दिन पहले 19 जुलाई को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलायी है जिसमें सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी दलों के साथ चर्चा की जायेगी. संसदीय मामलों के मंत्रालय ने इस बाबत जानकारी दी है. मंत्रालय की ओर से बताया गया कि 19 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की पूर्वसंध्या पर दोनों सदनों के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक अपराह्न 3 बजे संसदीय ग्रंथालय भवन होगी.
आपको बता दें कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को होगी. सत्र 11 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें प्रस्तावित हैं. विपक्ष कई मामलों को लेकर सदन में हंगामा कर सकता है. इस वक्त विपक्षी दलों की बैठक बेंगलुरु में चल रही है जिसमें लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनायी जा रही है. इस बैठक में मानसून सत्र में भी मोदी सरकार को घेरने का प्लान बन सकता है.
इन मामलों पर हो सकता है हंगामा
गौर हो कि इस बार मानसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. एक ओर जहां सत्ता पक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की कोशिश करेगा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष मणिपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, महंगाई और अदाणी मामले पर जेपीसी गठित करने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा. विपक्ष लगातार मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है. मणिपुर हिंसा मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुप्पी तोड़ने को लगातार विपक्ष बोल रहा है. वहीं पिछले संसद के सत्र में अदाणी मामले को लेकर विपक्ष ने लगातार संसद में हंगामा किया था.
21 नये विधेयकों को पेश व पारित किया जाएगा
लोकसभा सचिवालय के बुलेटिन की मानें तो, संसद के मानसूत्र सत्र या 17वीं लोकसभा के 12वें सत्र के दौरान लिये जाने वाले सरकारी कार्यों की संभावित सूची में 21 नये विधेयकों को पेश व पारित करने के लिए शामिल किया गया है. इसमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 भी शामिल है. यह विधेयक संबंधित अध्यादेश का स्थान लेने के लिए पेश किया जाएगा. आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है.
इन मुद्दों पर विपक्ष करेगा हंगामा
सरकारी सूत्रों का कहना है कि सत्र में महत्वपूर्ण विधेयक पेश किये जाएंगे, ऐसे में सभी दलों को सत्र चलाने में सहयोग करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार नियम व प्रक्रिया के तहत किसी भी विषय पर चर्चा कराने से पीछे नहीं हट रही है. वहीं, हाल में कांग्रेस पार्टी की, संसदीय रणनीति समूह की बैठक में सत्र के दौरान मणिपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, संघीय ढांचे पर कथित आक्रमण, जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाने और महंगाई पर चर्चा कराने की मांग उठाने पर जोर देने की बात कही गयी थी.
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इस बीच आपको बता दें कि कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने पिछले दिनों कहा कि पार्टी का रुख साफ है कि वह राज्यपालों के जरिए विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में हस्तक्षेप करने के केंद्र के ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी. कांग्रेस ने संसद में दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश पर विधेयक पेश किये जाने पर इसका विरोध करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि हम संघवाद को खत्म करने के केंद्र सरकार के प्रयासों का निरंतर विरोध कर रहे हैं.
आप ने की सराहना
आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस के रुख के बाद कहा था कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस का ‘‘स्पष्ट विरोध एक सकारात्मक घटनाक्रम है.’’ पार्टी के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने इसके बाद ट्वीट करके कहा था कि कांग्रेस ने दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश का स्पष्ट विरोध करने की घोषणा की है. यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के इस रुख के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल विपक्ष की बैठक में शामिल होने के लिए बेंगलुरु गये हैं.
बेंगलुरु में चल रही है विपक्ष की बैठक
आपको बता दें कि विपक्ष की बैठक बेंगलुरु में चल रही है. इसमें शामिल होने के लिए 26 दल पहुंचे हैं. विपक्ष मिलकर एनडीए के खिलाफ उतरने की तैयारी कर रहा है. विपक्ष की ये बैठक दो दिवसीय है.