Morbi Bridge Collapse: मोरबी हादसे पर HC ने गुजरात सरकार को लगायी फटकार, कहा- किसी एक पर कृपा क्यों?
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि किस आधार पर रुचि की अभिव्यक्ति के लिए कोई निविदा नहीं निकाली गई और बिना निविदा निकाले ही किसी व्यक्ति विशेष पर कृपा क्यों की गई.
मोरबी पुल हादसे मामाले में गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने इस मामले में गुजरात की भाजपा सरकार को कड़ी फटकार भी लगायी.
हाईकोर्ट ने पुल के रखरखाव और ठेका पर उठाया सवाल
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि किस आधार पर रुचि की अभिव्यक्ति के लिए कोई निविदा नहीं निकाली गई और बिना निविदा निकाले ही किसी व्यक्ति विशेष पर कृपा क्यों की गई. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार ने अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा समूह) के साथ वर्ष 2008 के MOU और वर्ष 2022 के समझौते में फिटनेस प्रमाणपत्र के संबंध में किसी तरह की शर्त लगाई थी, यदि ऐसा था तो इसे करने के लिए सक्षम प्राधिकार कौन था?
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किसी एक व्यक्ति पर सरकार ने क्यों दिखायी कृपा : हाईकोर्ट
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री ने कहा, यह समझौता सवा पन्ने का है जिसमें कोई शर्त नहीं है. यह समझौता एक सहमति के रूप में है. राज्य सरकार की यह उदारता 10 साल के लिए है, कोई निविदा नहीं निकाली गई, किसी तरह की रुचि की अभिव्यक्ति नहीं है. अदालत ने पूछा, 15 जून, 2017 को अवधि बीतने के बाद राज्य सरकार और मोरबी नगरपालिका द्वारा निविदा निकालने के लिए कौन से कदम उठाये गये? क्यों अभिव्यक्ति की रुचि के लिए कोई निविदा नहीं निकाली गई और कैसे बिना निविदा निकाले किसी व्यक्ति विशेष पर कृपा की गई.
साल 2018 में खत्म हो चूका था ओरेवा समूह के साथ MOU
कोर्ट ने कहा कि 15 जून, 2017 को अवधि बीतने के बावजूद अजंता (ओरेवा समूह) को पुल के रखरखाव और प्रबंधन का काम बिना किसी समझौते के जारी रखने के लिए कहा गया. कंपनी के साथ वर्ष 2008 में एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे जिसकी अवधि वर्ष 2017 में समाप्त हुई. कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या यह अवधि समाप्त होने के बाद संचालन और रखरखाव के उद्देश्य से निविदा निकालने के लिए स्थानीय प्राधिकारियों ने कोई कदम उठाए ?
मोरबी हादसे में हुई थी 135 लोगों की हुई मौत
गुजरात के मोरबी जिले में मच्छु नदी पर बना ब्रिटिश काल का पुल 30 अक्टूबर को ढह गया था और हादसे में महिलाओं, बच्चों सहित 135 लोगों की जान चली गई थी. पुल हादसे के बाद पुलिस ने 31 अक्टूबर को ओरेवा समूह से संबद्ध चार व्यक्तियों सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुल के संचालन एवं रखरखाव का जिम्मा संभाल रहीं कंपनियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है.